अकेले जिंदगी जीना
किसी को क्या पता है कब ,
बुलावा किसका आ जाये
अकेले जिंदगी जीना ,
चलो अब सीख हम जाये
अकेला था कभी मैं भी,
अकेली ही कभी थी तुम
मिलाया हमको किस्मत ने ,
हमारा बंध गया बंधन
मिलन के पुष्प जब विकसे,
हमारी बगिया मुस्काई
बढ़ा परिवार फिर अपना ,
और जीवन में बहार आई
हुए बच्चे, बड़े होकर
निकल आये जब उनके पर
हमारा घोसला छोड़ा ,
बसाया उनने अपना घर
अकेले रह गए हमतुम ,
मगर फिर भी न घबराये
अकेले जिंदगी जीना ,
चलो अब सीख हम जाये
हुआ चालू सफर फिर से,
अकेले जिंदगी पथ पर
सहारे एक दूजे के ,
आश्रित एक दूजे पर
बड़ा सूना सा था रस्ता ,
बहुत विपदा थी राहों में
गुजारी जिंदगी हमने ,
एक दूजे की बाहों में
गिरा कोई जब थक कर ,
दूसरे ने उसे थामा
कोई मुश्किल अगर आई
कभी सीखा न घबराना
परेशानी में हम ,हरदम,
एक दूजे के काम आयें
अकेले जिंदगी जीना ,
चलो अब सीख हम जाये
ये तय है कोई हम में से,
जियेगा ,ले, जुदाई गम
मानसिक रूप से खुद को,
चलो तैयार कर ले हम
तुम्हारी आँख में आंसूं ,
देख सकता कभी मैं ना
अगर मैं जाऊं पहले तो ,
कसम है तुमको मत रोना
रखूंगा खुद पे मैं काबू,
अगर पहले गयी जो तुम
तुम्हारी याद में जीवन ,
काट लूँगा,यूं ही गुमसुम
मिलेंगे उस जहाँ में हम ,
रखूंगा ,मन को समझाये
अकेले जिंदगी जीना ,
चलो अब सीख हम जाये
भले ही यूं अकेले में ,
लगेगा ना ,किसी का जी
काटना वक़्त पर होगा ,
बड़ी मुश्किल से ,कैसे भी
साथ में रहने की आदत ,
बड़ा हमको सतायेगी
तुम्हारा ख्याल रखना ,
प्यार,झिड़की ,याद आयेगी
सवेरे शाम पीना चाय
तनहा ,बहुत अखरेगा
दरद तेरी जुदाई का ,
कभी आँखों से छलकेगा
पुरानी यादें आ आ कर ,
भले ही दिल को तड़फाये
अकेले जिंदगी जीना ,
चलो अब सीख हम जायें
मदन मोहन बहती'घोटू'
सटीक रचना
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