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सोमवार, 11 सितंबर 2017

अकेले जिंदगी जीना 

     किसी को क्या पता है कब ,
     बुलावा किसका  आ जाये 
     अकेले जिंदगी  जीना ,
     चलो अब सीख हम जाये 
अकेला था कभी मैं भी,
अकेली ही कभी थी तुम 
मिलाया हमको किस्मत ने ,
हमारा बंध गया  बंधन 
मिलन के पुष्प जब विकसे,
हमारी बगिया मुस्काई 
बढ़ा परिवार फिर अपना ,
और जीवन में बहार आई 
हुए बच्चे, बड़े होकर 
निकल आये जब उनके पर 
हमारा घोसला छोड़ा ,
बसाया उनने अपना घर 
        अकेले रह गए हमतुम ,
        मगर फिर भी न घबराये 
        अकेले जिंदगी जीना ,
       चलो अब सीख हम जाये 
हुआ चालू सफर फिर से,
अकेले जिंदगी पथ पर 
सहारे एक दूजे  के ,
आश्रित एक दूजे पर 
बड़ा सूना सा था रस्ता ,
बहुत विपदा थी राहों में 
गुजारी जिंदगी हमने ,
एक दूजे की बाहों में 
गिरा कोई जब थक कर ,
दूसरे ने उसे थामा  
कोई मुश्किल अगर आई 
कभी सीखा न घबराना 
       परेशानी में हम ,हरदम,
        एक दूजे के  काम आयें 
        अकेले जिंदगी जीना ,
        चलो अब सीख हम जाये 
ये तय है कोई हम में से,
जियेगा ,ले, जुदाई  गम 
मानसिक रूप से खुद को,
चलो तैयार कर ले हम 
तुम्हारी आँख में आंसूं ,
देख सकता कभी मैं ना  
अगर मैं जाऊं पहले तो ,
कसम है तुमको मत रोना 
रखूंगा खुद पे मैं काबू,
अगर पहले गयी जो तुम 
तुम्हारी याद में जीवन ,
काट लूँगा,यूं ही गुमसुम 
        मिलेंगे उस जहाँ में हम ,
        रखूंगा ,मन को समझाये 
       अकेले जिंदगी जीना ,
       चलो अब सीख हम जाये 
भले ही यूं अकेले में ,
लगेगा ना ,किसी का जी 
काटना वक़्त पर होगा ,
बड़ी मुश्किल से ,कैसे भी 
साथ में रहने की आदत ,
बड़ा हमको सतायेगी 
तुम्हारा ख्याल रखना ,
प्यार,झिड़की ,याद आयेगी 
सवेरे शाम पीना चाय 
तनहा ,बहुत अखरेगा 
दरद  तेरी जुदाई का ,
कभी आँखों से छलकेगा 
        पुरानी यादें आ आ कर ,
       भले ही दिल को तड़फाये 
       अकेले जिंदगी जीना ,
       चलो अब सीख हम जायें 

मदन मोहन बहती'घोटू'

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