एक सन्देश-

यह ब्लॉग समर्पित है साहित्य की अनुपम विधा "पद्य" को |
पद्य रस की रचनाओ का इस ब्लॉग में स्वागत है | साथ ही इस ब्लॉग में दुसरे रचनाकारों के ब्लॉग से भी रचनाएँ उनकी अनुमति से लेकर यहाँ प्रकाशित की जाएँगी |

सदस्यता को इच्छुक मित्र यहाँ संपर्क करें या फिर इस ब्लॉग में प्रकाशित करवाने हेतु मेल करें:-
kavyasansaar@gmail.com
pradip_kumar110@yahoo.com

इस ब्लॉग से जुड़े

गुरुवार, 1 सितंबर 2011

सन्नाटा

श्री गणपतिजी सदा सहाय करें 



  सबसे पहले मेरे सारे ब्लोगर्स साथियों को गणेशोत्सव की बहुत बहुत
शुभकामनाएं 

सन्नाटा
 
 
 
 मैं इस कोठी में बरसों से खडा हूँ ,जिंदगी के उतार चदाव को देखता हुआ
    इंसान को इंसान से लड़ते हुए,एक दूसरे की जान लेते हुए
  और सोचता हूँ,ये किस तरह के जीव हैं ,लालची ,स्वार्थी
     जो अपने स्वार्थ और लालची प्रवृति के कारण कुछ भी कर सकते हैं
       मैं एक बरगद का पेड , जवान से बूढा हो गया यही सोचता हुआ
   दिल दुःख से भर जाता है ,उस प्यारी सी लड़की की कहानी याद करके 
   वो प्यारी सी गुडिया मेरे देखते देखते अति सुंदर नवयोवना बन गई 
       जब वो इस बगीचे में अदा से अपने आधे चेहरे को शर्मा कर छुपाती 
         अपने प्रियतम की याद में लाल रुखसार लिए, तो ईद का चाँद सी नजर आती 
    उसी की तरह सुंदर,सजीला,बांका ,प्यारा सा प्रियतम था उसका
तन की तरह मन भी बहुत सुंदर था जिसका
          दोनों एक दूसरे से बहुत प्यार करते थे,उनके ब्याह को अभी छै महीने ही हुए थे  
    आज वो उसको घर ले जाने आनेवाला था,उसके सपनों को पंख लगानेवाला था
       इसीलिए आज वो खिलखिला रही थी ,इठला रही थी,शर्मा रही थी
        बगीचे के झूले में झूलते हुए मीठे मीठे प्यारे से गीत गुनगुना रही थी
    इतने में उसके मोबाईल की घंटी घनघनाई ,उसने ख़ुशी ख़ुशी उसेअपने कान से लगाईं 
      उसके बाद उसकी एक चीख दी सुनाई ,और वो नीचे गिरी और बेसुध नजर आई
           वहां एक सन्नाटा सा बिखर गया था,जिसे सिर्फ खाली झूले की झूलनेकी आवाज भंग कर रहा था
     उसका हर सपना बिखर गया था, उसका खुशियों से भरा संसार उजड़ गया था
        उसका प्रियतम कुछ स्वार्थी और दुष्कर्मी लोगों के दुष्कर्म के कारण
      इस बुराईयों से भरी दुनिया से कूच कर गया था
     उसने गुंडों से लड़कर एक अबला की इज्जत तो बचाई थी 
    पर उसकी कीमत अपने प्राणों की बलि देकर चुकाई थी
         इंसान सिर्फ इंसान को ही नहीं मारता उससे जुड़े हर रिश्ते को मारता है
     उन रिश्तों के सपने ,आशाएं, जरुरत को मारता है
    और उनकी जिंदगी में छोड़ देता है कभी ना मिटने वाला सन्नाटा 
  सन्नाटा  सन्नाटा   सन्नाटा



3 टिप्‍पणियां:

  1. आपको भी गणेश पूजा की शुभकामनायें | "काव्य का संसार" में स्वागत है | सहयोग के लिए धन्यवाद |

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत बहुत धन्यवाद आप सबका की आपने मेरी रचना को पसंद किया और इतने अच्छे उत्साह बढ़ानेवाले सन्देश दिए /आप सबका आशीर्वाद मेरी रचनाओं को हमेशा ऐसे ही मिलता रहेगा ,यही कामना है /आभार /

    जवाब देंहटाएं

कृपया अपने बहुमूल्य टिप्पणी के माध्यम से उत्साहवर्धन एवं मार्गदर्शन करें ।
"काव्य का संसार" की ओर से अग्रिम धन्यवाद ।

हलचल अन्य ब्लोगों से 1-