रिटायर होने पर
उस दिन जब हम होकर के तैयार
ऑफिस जाने वाले थे यार
बीबी को आवाज़ लगाई,
अभी तलक नहीं बना है खाना
हमको है ऑफिस जाना
तो बीबीजी बोली मुस्काकर
श्रीमानजी,अब आपको दिन भर,
रहना है घर पर
क्योंकि आप हो गए है रिटायर
सारा दिन घर पर ही काटना है
और मेरा दिमाग चाटना है
एसा ही होता है अक्सर
रिटायर होने पर
आदमी का जीना हो जाता है दुष्कर
दिन भर बैठ कर निठल्ला
आदमी पड़ जाता है इकल्ला
याद आते है वो दिन,
जब मिया फाख्ता मारा करते थे
अपने मातहतों पर,
ऑफिस में रोब झाडा करते थे
यस सर ,यस सर का टोनिक पीने की,
जब आदत पड़ जाती है
तो दिन भर बीबीजी के आदेश सुनते सुनते,
हालत बिगड़ जाती है
सुबह जल्दी उठ जाया करो
रोज घूमने जाया करो
डेयरी से दूध ले आया करो
घर के कामो में थोडा हाथ बंटाया करो
बीते दिन याद आते है जब,
हर जगह वी आई पी ट्रीटमेंट था मिलता
आजकल कोई पूछता ही नहीं,
यही मन को है खलता
पर क्या करें,
उम्र के आगे किसी का बस नहीं है चलता
वक़्त काटना हो गया दूभर है
हम हो गए रिटायर है
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
एडवोकेट समझें वर्चुअल कोर्ट की अवधारणा
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विधि और न्याय मंत्रालय की अवधारणा के अनुसार छोटे यातायात अपराध के मामलों
से निपटने के लिए ई-कोर्ट परियोजना के तहत आभासी अदालतों की एक नई व्यवस्था की
गई...
16 घंटे पहले
मजेदार प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंbahut sahi likha hai :)
जवाब देंहटाएं:-)
जवाब देंहटाएंbehatreen...
rochak lekhan.
anu
चलो, अब समझ में तो आया !
जवाब देंहटाएंdhanywad-aapko rachna achchhi lagi
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