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शुक्रवार, 14 सितंबर 2012

मनाने का भाव


हिंदी दिवस 
मनाने का भाव 
अपनी जड़ों को सीचने का भाव है . 
राष्ट्र भाव से जुड़ने का भाव है . 
भाव भाषा को अपनाने का भाव है . 

हिंदी दिवस 
एकता , अखंडता और समप्रभुता का भाव है . 
उदारता , विनम्रता और सहजता का भाव है . 
समर्पण,त्याग और विश्वास का भाव है . 
ज्ञान , प्रज्ञा और बोध का भाव है . 

हिंदी दिवस
अपनी समग्रता में 
खुसरो ,जायसी का खुमार है . 
तुलसी का लोकमंगल है 
सूर का वात्सल्य और मीरा का प्यार है . 

हिंदी दिवस 
कबीर का सन्देश है 
बिहारी का चमत्कार है 
घनानंद की पीर है 
पंत की प्रकृति सुषमा और महादेवी की आँखों का नीर है . 


हिंदी दिवस 
निराला की ओजस्विता 
जयशंकर की ऐतिहासिकता 
प्रेमचंद का यथार्थोन्मुख आदर्शवाद 
दिनकर की विरासत और धूमिल का दर्द है . 


हिंदी दिवस 
विमर्शों का क्रांति स्थल है 
वाद-विवाद और संवाद का अनुप्राण है 
यह परंपराओं की खोज है 
जड़ताओं से नहीं , जड़ों से जुड़ने का प्रश्न है . 

हिदी दिवस 
इस देश की उत्सव धर्मिता है 
संस्कारों की आकाश धर्मिता है 
अपनी संपूर्णता में, 
यह हमारी राष्ट्रीय अस्मिता है .





रचनाकार-डॉ मनीष कुमार मिश्र
असोसिएट
भारतीय उच्च अध्ययन केंद्र ,
राष्ट्रपति निवास, शिमला
manishmuntazir@gmail.com

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