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सोमवार, 17 सितंबर 2012

आओ हम तुम हँसे

         आओ हम तुम हँसे

आओ हम तुम  हंसें

मन में खुशियाँ बसे
जीवन की आपाधापी में,
रहे न यूं ही  फंसे
               खुश हो सबसे मिलें
              दिल की कलियाँ खिले
             नहीं किसी से बैर भाव,
              मन में शिकवे  गिले
बस यूं ही मुस्काके
लगते रहे ठहाके
धीरे धीरे बिसर जायेंगे,
सारे दुःख दुनिया  के
               खिल खिल ,कल कल बहें
                     लगा   सदा  कहकहे
                तन मन दोनों की ही सेहत,
                 सदा    सुहानी      रहे  
चेहरा हँसता लिये
सुखमय जीवन जियें
बहुत मिलेगी खुशियाँ,
यदि कुछ करो किसी के लिये
                 चार दिनों का जीवन
                 हो न किसी से अनबन
                 खुशियाँ बरसेगी,सरसेगी,
                  हँसते रहिये  हरदम

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

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