मेरी माँ,दुनिया की सबसे अच्छी माँ है
धवल रजत से केश,स्वच्छ हैं,मन से उजले
यादों के सैलाब,वृद्ध आँखों में धुंधले
बार बार,हर बात,भूलती है दुहराती
खुश होती तो स्वर्ण दन्त,दिखला मुस्काती
ममता का सागर अथाह है जिसके मन में
देख लिए नब्बे बसंत ,जिसने जीवन में
नाती,पोते,बेटी और बेटों से मिल कर
अब भी फूल बिखर जाते,चेहरे पर खिल कर
कभी कभी गुमसुम बैठी ,कुछ सोचा करती
जीवन के किस कालखंड में पहुंचा करती
बाबूजी को याद किय करती है मन में
अक्सर भटका करती यादों के उपवन में
बूढी आँखों में ममता,वात्सल्य भरा है
मेरी माँ ,दुनिया की सबसे अच्छी माँ है
मादन मोहन बाहेती'घोटू'
साइबर ठगों का नया हथियार आपके बच्चे
-
आज आदमी डिजिटल हो चला है, जहाँ देखिये आदमी के हाथ में मोबाइल चलता ही रहता
हैँ. अब तो ये लगने लगा है कि अगर ये स्मार्ट फोन हाथ में नहीं है तो न ही
हमारी...
1 दिन पहले
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
कृपया अपने बहुमूल्य टिप्पणी के माध्यम से उत्साहवर्धन एवं मार्गदर्शन करें ।
"काव्य का संसार" की ओर से अग्रिम धन्यवाद ।