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बुधवार, 26 सितंबर 2012

दो इंची मुस्कान और फरमाईश गज भर

    दो इंची मुस्कान और फरमाईश गज भर

सुबह सुबह यदि पत्नीजी,खुश हो मुस्काये

जरुरत से थोडा ज्यादा ही प्यार  दिखाये
मनपसंद तुम्हारा ब्रेकफास्ट   करवाये
सजी धजी सुन्दर सी ,मीठी बात बनाये
प्यारी प्यारी बातें कर ,खुश करती दिल है
तुम्हे पटाने की ये उनकी स्टाईल   है
मस्ती मारेंगे हम,आज न जाओ दफ्तर
दो इंची मुस्कान और फरमाईश गज भर
हम खुश होते सोच ,सुबह इतनी मतवाली
क्या होगा आलम जब रात आएगी प्यारी
देख अदाएं,रूप सुहाना,जलवे, नखरा
हो जाता तैयार ,बली को खुद ये बकरा
ले जाती बाज़ार,दुकानों में भटका कर
शौपिंग करती ,हम घूमे,झोले लटका कर
भाग दौड़ में दिन भर की ,इतने थक जाते
घर आकर सो जाते ,और भरते   खर्राटे

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

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