एक सन्देश-

यह ब्लॉग समर्पित है साहित्य की अनुपम विधा "पद्य" को |
पद्य रस की रचनाओ का इस ब्लॉग में स्वागत है | साथ ही इस ब्लॉग में दुसरे रचनाकारों के ब्लॉग से भी रचनाएँ उनकी अनुमति से लेकर यहाँ प्रकाशित की जाएँगी |

सदस्यता को इच्छुक मित्र यहाँ संपर्क करें या फिर इस ब्लॉग में प्रकाशित करवाने हेतु मेल करें:-
kavyasansaar@gmail.com
pradip_kumar110@yahoo.com

इस ब्लॉग से जुड़े

रविवार, 8 अक्तूबर 2017

भगवान का कम्पनसेशन 

भगवान ,
जब तूने रचे नर और नारी 
औरतों के गालों को बालविहीन चिकना बनाया,
और मर्दों के गालों पर उगा दी दाढ़ी 
पर जो एक्स्ट्रा बाल दिए मर्दों के गालों पर 
तो क्षतिपूर्ति के लिए   ,
विशेष कृपा बरसा दी ,नारी के बालों पर 
उन्हें दे दिए ,घने,रेशमी और काले कुंतल 
जिनके जाल में फंस कर ,
आदमी मुश्किल से ही सकता है निकल 
आपने देखा होगा कि बढ़ती हुई उम्र के साथ 
आदमी के सर के बाल उड़ जाते है 
वो कभी आगे से गंजे ,
या कभी पीछे से खल्वाट नज़र आते है 
पर ईश्वर की अनुकम्पा से औरतों के सर पर ,
बालों की छटा ,हरदम रहती छाई है 
क्या आपको कभी कोई औरत ,
आदमी की तरह गंजी नज़र आयी है 
भगवान ,तू बड़ा ग्रेट है 
तेरी नज़र में सब बराबर है,
तू किसी में न रखता भेद है 
अगर तेरी रचना में,
 कहीं कुछ असमानता आयी है 
तो तूने किसी न किसी तरह,
किया 'कम्पनसेट'है 

घोटू 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

कृपया अपने बहुमूल्य टिप्पणी के माध्यम से उत्साहवर्धन एवं मार्गदर्शन करें ।
"काव्य का संसार" की ओर से अग्रिम धन्यवाद ।

हलचल अन्य ब्लोगों से 1-