घोटू के पद
व्यथा कथा
प्रीतम,तुम जागो मै सोऊँ
अपनी प्रीत गजब की ऐसी ,खुश होऊँ या रोऊँ
तुम खर खर खर्राटे भरती ,मै सपनो में खोऊँ
थकी रात को तुम जब आती,काम काज निपटा कर
इधर लिपटती ,निंदिया मुझसे ,मुझे अकेला पाकर
तुम भी सोता देख चैन से ,मुझको नहीं सताती
अपना पस्त शरीर लिए तुम,करवट ले सो जाती
और सुबह चालू हो जाता,रोज रोज का चक्कर
काम काज में तुम लग जाती,और मै जाता दफ्तर
कोई न कोई आये सन्डे को,मै कैसे खुश होऊँ
प्रीतम ,तुम जागो मै सोऊँ
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
सशक्त नारी -बिगड़ता समाज
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आख़िरकार वही हुआ जो बिल्कुल भी नहीं होना चाहिए था. आज तक पुरुष पर दरिंदगी के
आरोप लगते रहे किन्तु आज की भारतीय नारी ने पिछले कुछ समय से यह साबित करके
दिख...
11 घंटे पहले
बहुत ही सुन्दर प्रस्तुतिकरण,सादर आभार।
जवाब देंहटाएंबढ़िया प्रस्तुति .........
जवाब देंहटाएंसाभार.....
घोटू जी शानदार | बधाई
जवाब देंहटाएंdhanywaad bandhuwar
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