बहुत तुम जुल्म ढाती हो
जो बोसा लूं,चुभे खंजर,
लूं चुम्बन काट खाती हो
जो मै लूं हाथ हाथों में,
मुझे नाख़ून चुभाती हो
जो फेरूँ हाथ जुल्फों पर ,
तो हेयरपिन मुझे चुभते,
बहुत तुम जुल्म ढाती हो,
जब मेरे पास आती हो
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
सत्य
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सत्य सत्य है अखंड, एकरसजानने वाला जान रहा प्रतिपल नहीं है भूत या
भविष्य उसके लिए वहाँ कोई भेद नहीं न दिशाओं का न गुणों का भावातीत, कालातीत व
देशातीत वह ब...
1 दिन पहले
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