बहुत तुम जुल्म ढाती हो
जो बोसा लूं,चुभे खंजर,
लूं चुम्बन काट खाती हो
जो मै लूं हाथ हाथों में,
मुझे नाख़ून चुभाती हो
जो फेरूँ हाथ जुल्फों पर ,
तो हेयरपिन मुझे चुभते,
बहुत तुम जुल्म ढाती हो,
जब मेरे पास आती हो
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
परिधान
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परिधान
सभ्यता उन्नत हुई, तब आया परिधान।
पहनावा भी है नियत, है इनका भी स्थान।।
लहँगा चुन्नी साड़ियाँ, दुल्हन का परिधान।
मंडप पर होता नहीं, जींस टॉप मे...
16 घंटे पहले
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