बाती और कपूर
खुद को डूबा प्रेम के रस में,
तुम जलती हो बन कर बाती
जब तक स्नेह भरा दीपक में,
जी भर उजियाला फैलाती
और कपूर की डली बना मै,
जल कर करूं आरती ,अर्चन,
निज अस्तित्व मिटा देता मै,
मेरा होता पूर्ण समर्पण
तुम में ,मुझ में ,फर्क यही है,
तुमभी जलती,मै भी जलता
तुम रस पाकर फिर जल जाती,
और मै जल कर सिर्फ पिघलता
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
एडवोकेट समझें वर्चुअल कोर्ट की अवधारणा
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विधि और न्याय मंत्रालय की अवधारणा के अनुसार छोटे यातायात अपराध के मामलों
से निपटने के लिए ई-कोर्ट परियोजना के तहत आभासी अदालतों की एक नई व्यवस्था की
गई...
7 घंटे पहले
bahut achchha. AAbhaar.
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