ये पर्वत हैं
इन्हें न समझो तुम चट्टानें, इन्हें न समझो ये पत्थर है
ये सुन्दर है,ये मनहर है ,झरझर झरते ये निर्झर है
धरती माँ के स्तन मंडल,ये तो बरसाते अमृत है
ये पर्वत है
हरे भरे हैं,मौन खड़े है,विपुल सम्पदा के स्वामी है
तने हुए सर ऊंचा करके,निज गौरव के अभिमानी है
कहीं बर्फ से आच्छादित है,कहीं बरसती निर्मल धारा
कहीं अरण्य,कहीं भेषज है,सुन्दर हरित रूप है प्यारा
इनकी कोख भरी रत्नों से,कहीं स्वर्ण है,कहीं रजत है
ये पर्वत है
हिम किरीट से चमक रहे है,रजत शिखर आलोकित सुन्दर
सूरज की किरणे भी सबसे,पहले इन्हें चूमती आकर
कहीं देवियों के मंदिर है,कहीं वास करते है शंकर
ये उद्गम गंगा यमुना के,इनमे ही है मानसरोवर
ये सीमाओं के प्रहरी है,अटल,अजय है,दुर्गम पथ है
ये पर्वत है
मानव देव और दानव भी,काम सभी के आते है ये
अमृत मंथन को मेरु से,मथनी भी बन जाते है ये
नींव बने प्रगति ,विकास की,इनकी चट्टानों के पत्थर
किन्तु धधकता है लावा भी,ज्वालामुखी ,सीने के अन्दर
मानव ने कर दिया खोखला,बहुत दुखी है आहत है
ये पर्वत है
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
उत्तर प्रदेश-रामपुर- SIR फॉर्म गलत भरने पर पहली FIR-नूरजहां आमिर और दानिश
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*स्रोत -जागरण न्यूज 6 दिसंबर 2025*
6 दिसंबर 2025 की जागरण न्यूज के अनुसार रामपुर जिले में एसआईआर फॉर्म में
तथ्यों को छुपाकर गलत जानकारी भरने का एक मामला...
1 दिन पहले
परबत की सुन्दरता एवं महत्व का चित्रण आपने बखूबी किया है. अति सुन्दर .
जवाब देंहटाएंDHANYWAAD
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर ..कठोर होकर भी पर्वत भी दुखी होता है ...यही इस कविता का सार है ..
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