एक सन्देश-

यह ब्लॉग समर्पित है साहित्य की अनुपम विधा "पद्य" को |
पद्य रस की रचनाओ का इस ब्लॉग में स्वागत है | साथ ही इस ब्लॉग में दुसरे रचनाकारों के ब्लॉग से भी रचनाएँ उनकी अनुमति से लेकर यहाँ प्रकाशित की जाएँगी |

सदस्यता को इच्छुक मित्र यहाँ संपर्क करें या फिर इस ब्लॉग में प्रकाशित करवाने हेतु मेल करें:-
kavyasansaar@gmail.com
pradip_kumar110@yahoo.com

इस ब्लॉग से जुड़े

सोमवार, 3 दिसंबर 2012

हम अब भी दीवाने है

         हम  अब भी दीवाने है

बात प्यार की जब भी निकले ,हम तो इतना जाने है
हम पहले भी दीवाने थे ,हम अब भी दीवाने  है
प्यार ,दोस्ती से यारी है ,नफरत है गद्दारी से ,
डूबे रहते है मस्ती मे ,हम तो वो  दीवाने  है
ना तो कोई लाग  लगावट,नहीं बनावट बातों में,
ये सच है ,दुनियादारी से,हम थोड़े अनजाने  है
कल की चिंता में है खोया ,हमने मन का चैन नहीं,
नींद चैन की लेते है हम ,सोते खूँटी  ताने  है
सीधा सादा सा स्वभाव है ,छल प्रपंच का नाम नहीं ,
पंचतंत्र और तोता मैना के बिसरे  अफ़साने है
खाने और पकाने में भी ,काम सभी के आये थे , 
मोच पड़ गयी,भरे हुए पर,बर्तन भले पुराने है 
जिनके प्यारे स्वर उर अंतर ,को छू छू कर जाते है,
राग रागिनी  रस से  रंजित,हम वो पक्के गाने है
दाना दाना खिल खिल कर के ,महकेगा,खुशबू देगा ,
कभी पका कर तो देखो ,चावल बड़े पुराने है
काफी कुछ तो बीत गयी है ,बीत जायेगी बाकी भी ,
हँसते गाते ,मस्ती में ही ,बाकी दिवस बिताने है

मदन मोहन बाहेती 'घोटू'

शनिवार, 1 दिसंबर 2012

तेरे ईश्क़ में जालिम बदनाम हो गए


बेपर्दा तो अब हम सरेआम हो गए,
तेरे ईश्क़ में जालिम बदनाम हो गए |

सम्मोहन विद्या तूने ऐसी चलाई,
दो पल में हम तेरे गुलाम हो गए |

छोड़ दिया खाना जब याद में तेरे,
दो हफ्तों में ही चूसे हुए आम हो गए |

चुराया था तूने जबसे चैन को मेरे,
रात सजा और दिन मेरे हराम हो गए |

जुदाई तेरी मुझसे जब सही न गई,
खाली कितने जाम के जाम हो गए |

गम में तेरे कुछ इस कदर रोया,
हृदय के भीतर कोहराम हो गए |

सोचता रहा मैं दिन-रात ही तुझे,
खो दिया सबकुछ, बेकाम हो गए |

समझा था मैंने, तुझे सारे तीरथ,
सोचा था तुम ही मेरे धाम हो गए |

पता नहीं क्या-क्या सपने सँजो लिए,
फोकट में ही इतने ताम-झाम हो गए |

चक्कर में तेरे जिस दिन से पड़ा,
उल्टे-पुल्टे मेरे सारे काम हो गए |

फेसबुक में देखा तो हूर थी लगी,
मिला तो अरमाँ मेरे धड़ाम हो गए |

कस जो लिया तूने बाहों में अपने,
लगने लगा जैसे राम नाम हो गए |

एक बार तो मुझको ऐसा भी लगा,
चाहतों के मेरे क्या अंजाम हो गए |

टॉप-अप जो तेरा बार-बार करवाया,
कपड़े तक भी मेरे नीलाम हो गए |

चाहकर तुझको शायद पाप कर लिया,
नरक में जाने के इंतजाम हो गए |

चबाया है तूने ऐसे प्यार को मेरे,
प्यार न हुआ, काजू-बादाम हो गए |

आंसुओं से तूने कुछ ऐसे भिगाया,
बार बार मुझको जुकाम हो गए |

घेरे से छुटकर अब लगता है ऐसे,
आम के आम, गुठलियों के दाम हो गए |

बेपर्दा तो अब हम सरेआम हो गए,
तेरे ईश्क़ में जालिम बदनाम हो गए |

माँ का त्याग

      पते की बात
    माँ का त्याग
घर में पांच लोग होते थे,,
          पर जब  चार सेव   आते 
तब माँ ही होती जो  कहती ,
          मुझे सेव फल ना भाते   
घोटू

सिक्के और नोट

      पते की बात
  सिक्के और नोट
सिक्के जो छोटे होते ,आवाज  हमेशा करते है ,
               वैसे ही छोटे लोगों में, बड़ा छिछोरापन  होता
नोट बड़े होते है पर ,खामोश हमेशा  रहते है,
              इसी तरह से बड़े लोग में ,बड़ा ,बड़प्पन है होता
घोटू

भगवान और मंदिर

         पते की बात 
  भगवान और मंदिर
उनने बोला 'हर जगह भगवान है मौजूद तो,
          मंदिरों की क्या जरूरत है ,हमें बतलाईये
हमने बोला 'हर जगह मौजूद कमरे में हवा ,
       फिर क्यों पंखे चलाते हो ,हमको ये समझाईये
घोटू

हलचल अन्य ब्लोगों से 1-