मेरा जीवन
मुझे ना उधो से कुछ लेना
मुझे ना माधो को कुछ देना
बड़े प्यार से खाता जो भी
मिलता चना चबेना
जब से मन से निकल गई है
कुछ पाने की तृष्णा
बड़े प्रेम से जपता हूं अब
जय राधा जय कृष्णा
मैं त्यागी मोह और माया
निर्मल हो गई मेरी काया
भाव घृणा का दूर हो गया,
सब पर प्रेम लुटाया
करता सबसे प्यार ,
घृणा का बचा न कोई प्रश्न ना
बड़े प्रेम से जपता हूं अब
जय राधा जय कृष्णा
मैंने दिया अहम को त्याग
सभी के प्रति मन में अनुराग
अब तक सोई पड़ी आत्मा
आज गई है जाग
अब तो सबकी सेवा करना
अपना प्यार परसना
बड़े प्रेम से जपता हूं मैं,
जय राधा जय कृष्णा
किसी से ना झगड़ा ना रार
सभी के प्रति मन में है प्यार
दीन दुखी की सेवा करना
धर्म-कर्म व्यवहार
मन में भक्ति भाव लिए अब
सबके दिल में बसना
बड़े प्रेम से जपता हूं मैं
जय राधा जय कृष्णा
मदन मोहन बाहेती घोटू
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