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शनिवार, 1 नवंबर 2025

मेरा जीवन

मुझे ना उधो से कुछ लेना
मुझे ना माधो को कुछ देना 
बड़े प्यार से खाता जो भी 
 मिलता चना चबेना 
जब से मन से निकल गई है 
कुछ पाने की तृष्णा 
बड़े प्रेम से जपता हूं अब 
जय राधा जय कृष्णा

 मैं त्यागी मोह और माया
 निर्मल हो गई मेरी काया 
भाव घृणा का दूर हो गया,
सब पर प्रेम लुटाया 
करता सबसे प्यार ,
घृणा का बचा न कोई प्रश्न ना 
बड़े प्रेम से जपता हूं अब 
जय राधा जय कृष्णा  

 मैंने दिया अहम को त्याग 
सभी के प्रति मन में अनुराग 
अब तक सोई पड़ी आत्मा 
आज गई है जाग 
अब तो सबकी सेवा करना 
अपना प्यार परसना 
बड़े प्रेम से जपता हूं मैं,
जय राधा जय कृष्णा 

किसी से ना झगड़ा ना रार 
सभी के प्रति मन में है प्यार 
दीन दुखी की सेवा करना 
धर्म-कर्म व्यवहार 
मन में भक्ति भाव लिए अब
 सबके दिल में बसना 
बड़े प्रेम से जपता हूं मैं 
जय राधा जय कृष्णा 

मदन मोहन बाहेती घोटू 

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