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बुधवार, 2 सितंबर 2020

प्रभु ,ऐसे दिन  कभी  न आये  

ना यारों संग ,बैठक ,गपशप  
मौज और मस्ती ,खाना पीना
ना बीबी के कन्ट्रोल बिन ,
थोड़े घंटे ,खुल कर जीना
ना नित शेविंग ,सजना धजना ,
प्रेस वस्त्र में ऑफिस जाना
दिन भर यससर यससर सुनना ,
आता है वो याद जमाना
इस कोरोना की दहशत ने ,
कैसे दिन हमको दिखलाये
प्रभु ऐसे दिन कभी  नआये

 घर का काम पड़े खुद करना ,
ना महरी का आना जाना
झाड़ू पोंछा ,गृह कार्यों में ,
पत्नीजी का हाथ  बटाना
बरमूडा ,टी शर्ट पहन कर ,
दिन भर रहना घर में घुस कर
कब तक अपना वक़्त गुजारें ,
टी वी चैनल ,बदल बदल कर
दिन भर पड़े  रहें बिस्तर में ,
हरदम अलसाये अलसाये
प्रभु ऐसे दिन कभी  न आये

सबके मुंह पर बंधी पट्टियाँ ,
तुम उनको पहचान न पाओ
होटल में जाकर न खा सको ,
बाहर से कुछ ना मंगवाओ
जली कटी खानी भी पड़ती ,
जली कटी सुननी भी पड़ती
कुछ बोलो तो झगड़ा होता ,
बात बात में बात बिगड़ती
अपनों से तुम मिल ना पाओ ,
दो गज दूरी रहो बनाये
प्रभु ,ऐसे दिन कभी न आये

कोई अपना जो बीमार हो,
 हाल पूछने तुम न जा सको
मिलने वालों की शादी में
शिरकत कर दावत न खा सको
कोई बर्थडे कोई उत्सव ,
मना न पाओ ,हंसकर गाकर  
नहीं किसी की शवयात्रा में ,
दुःख अपना दिखलाओ जाकर
आपस में बढ़ गयी दूरियां ,
अपने ज्यों हो गए पराये
प्रभु ,ऐसे दिन कभी न आये

मदन मोहन बाहेती 'घोटू '

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