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गुरुवार, 24 सितंबर 2020

मेरी पोस्ट -आपकी लाइकिंग

तुम पढ़ो ना पढ़ो ,जिद है मेरी मगर ,
जो भी मैंने लिखा ,सबको मैं बाँट दूँ
क्योंकि हो सकता जो भी मेरे संग घटा ,
कोई संग हो घटा ,उसके दुःख काट दूँ

ये जरूरी नहीं ,तुम पढोगे इसे ,
पढ़ लिया भी अगर ,दोगे 'लाइक' इसे
जो लिखा मैंने वो बात घर घर की है ,
जो करोगे 'कमेंट ' तो रुचेगा मुझे
कोई लेखक कवि  ,पोस्ट डाले कोई ,
भुक्तभोगी है वो ,तुम समझलो इसे
लाभ अनुभव का उसके ,उठाये कोई ,
तो बताओ न अच्छा लगेगा किसे
है हुआ भाव का ,जब प्रसव गीत बन ,
इस नए जीव का ,सबको आल्हाद दूँ
तुम पढ़ो ना पढ़ो ,जिद है मेरी मगर ,
जो भी मैंने लिखा सबको, मैं बाँट दूँ

बादलों की तरह ,भावनाएं उमड़ ,
जब अम्बर में उर के गरजने लगे
देख सूखी धरा ,प्यार सारा भरा
शब्द बूंदों के जैसे बरसने लगे
कुछ सताये हुए ,कुछ रुलाये हुए ,
अश्क आँखों में आ के छलकने लगे
प्रीत झरने के जैसी ,झर झर  झरे
और कविता की सरिता उमड़ने लगे
भर के अंजुल में वो जल पिलाने तुम्हे ,
ब्लॉग का रूप देकर मिटा प्यास दूँ
तुम पढ़ो ना पढ़ो ,जिद है मेरी मगर ,
जो भी मैंने लिखा ,सबको मैं बाँट दूँ

मदन मोहन बाहेती 'घोटू ' 

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