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शुक्रवार, 30 नवंबर 2018

मेरा जीवन भर का दोस्त -चाँद 

चाँद से मेरा रिश्ता है पुराना 
बचपन में उसे कहता था चंदामामा 
मेरी जिद पर ,मम्मी के बुलावे पर ,
वो मुझ संग खेलने ,पानी के थाली में आता था 
मेरे इशारों पर ,हिलता डुलता था ,
नाचता था ,हाथ मिलाता था 
और जब जवानी आयी तो बिना मम्मी को बताये 
हमने कितनी ही चन्द्रमुखियों से नयन मिलाये 
और फिर एक कुड़ी फंस  गयी 
'तू मेरा चाँद ,मैं तेरी चांदनी कहने वाली ,
मेरे दिल में बस गयी 
वक़्त के साथ उस चंद्रमुखी ने 
हमें एक चाँद सा बेटा दिया ,
फिर एक चन्द्रमुख बेटी आयी 
और मेरे घरआंगन में ,चांदनी मुस्करायी 
चांदनी की राह में ,कई रोड़े ,बादलों से अड़े 
सुख और दुःख ,
कभी कृष्णपक्ष के चाँद की तरह घटे ,
कभी शुक्लपक्ष के चाँद की तरह बढ़े 
जिंदगी के आकाश में कई चंद्रग्रहण आये ,
कई मुश्किलों में फँसा 
कभी राहु ने डसा ,कभी केतु ने डसा 
और फिर शुद्ध हुआ 
समय के साथ वृद्ध हुआ 
और चाँद के साथ ,मेरी करीबियत और बढ़ गयी है ,
बुढ़ापे की इस उमर में 
बचपन में थाली में बुलाता था और अब,
चाँद खुद आकर बैठ गया है मेरे सर में 
बचे खुचे उजले बालों की बादलों सी ,चारदीवारी बीच ,
जब मेरी चमचमाती चंदिया चमकती है 
बीबी सहला कर मज़े लेती है ,
पर आप क्या जाने मेरे दिल पर क्या गुजरती है 
जब चंद्रमुखिया ,'हाई अंकल  कह कर पास से  निकलती है 

घोटू 

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