झुनझुना
बचपने में रोते थे तो ,बहलाने के वास्ते ,
पकड़ा देती थी हमारे हाथ में माँ, झुनझुना
ये हमारे लिए कुतुहल ,एक होता था बड़ा ,
हम हिलाते हाथ थे और बजने लगता झुनझुना
हो बड़े ,स्कूल ,कालेज में जो पढ़ने को गए ,
तो पिताजी ने थमाया ,किताबों का झुनझुना
बोले अच्छे नंबरों से पास जो हो जायेंगे ,
जिंदगी भर बजायेंगे ,केरियर का झुनझुना
फिर हुई शादी हमारी ,और जब बीबी मिली ,
पायलों की छनक ,चूड़ी का खनकता झुनझुना
ऐसा कैसा झुनझुना देती है पकड़ा बीबियाँ,
गिले शिकवे भूल शौहर ,बजते बन के झुनझुना
जिंदगी भर लीडरों ने ,बहुत बहकाया हमें ,
दिया पकड़ा हाथ में ,आश्वासनों का झुनझुना
और होती बुढ़ापे में ,तन की हालत इस तरह ,
होती हमको झुनझुनी है,बदन जाता झुनझुना
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
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