एक सन्देश-

यह ब्लॉग समर्पित है साहित्य की अनुपम विधा "पद्य" को |
पद्य रस की रचनाओ का इस ब्लॉग में स्वागत है | साथ ही इस ब्लॉग में दुसरे रचनाकारों के ब्लॉग से भी रचनाएँ उनकी अनुमति से लेकर यहाँ प्रकाशित की जाएँगी |

सदस्यता को इच्छुक मित्र यहाँ संपर्क करें या फिर इस ब्लॉग में प्रकाशित करवाने हेतु मेल करें:-
kavyasansaar@gmail.com
pradip_kumar110@yahoo.com

इस ब्लॉग से जुड़े

गुरुवार, 12 दिसंबर 2013

तेरे आगोश में

      तेरे  आगोश में

भीग कर तेरे लबों की ओस में
कोई रह सकता है कैसे होंश में
इस तरह छा जाती है दीवानगी ,
खून रग में,उबलता है जोश में
मन यही करता है कि बस पीते रहें ,
मधु संचित जितना है मधुकोश में
आरजू है ,काट दें ये जिंदगी ,
बस यूं ही बंध कर तेरे आगोश में
इस तरह हम डूब जाये  प्यार में,
बावरी सी रहो तुम ,मदहोश मै

घोटू

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

कृपया अपने बहुमूल्य टिप्पणी के माध्यम से उत्साहवर्धन एवं मार्गदर्शन करें ।
"काव्य का संसार" की ओर से अग्रिम धन्यवाद ।

हलचल अन्य ब्लोगों से 1-