मै और मेरी मुनिया
तुम कहते हो बड़े गर्व से ,
मै अच्छा और मेरी मुनिया
कोई की परवाह नहीं है ,
कैसे,क्या कर लेगी दुनिया
पैसा नहीं सभी कुछ जग में ,
ना आटा ,या मिर्ची ,धनिया
सबका अपना अपना जीवन,
राजा ,रंक ,पुजारी,बनिया
कोई भीड़ में नहीं सुनेगा,
रहो बजाते,तुम टुनटुनिया
उतने दिन अंधियारा रहता ,
जितने दिन रहती चांदनियां
तन रुई फोहे सा बिखरे ,
धुनकी जब धुनकेगा धुनिया
ये मुनिया भी साथ न देगी,
जिस दिन तुम छोड़ोगे दुनिया
मदन मोहन बहेती'घोटू'
790. होली (होली पर 20 हाइकु)
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होली
(होली पर 20 हाइकु)
1.
भाँग पीकर
पुआ-पूड़ी खाकर
होली अघाई।
2.
होली भौजाई
लगाकर गुलाल
ख़ूब लजाई।
3.
धर्म व जाति
भेद नहीं करती
भोली है होली।
4.
होलि...
27 मिनट पहले
आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (02-03-2013) के चर्चा मंच 1172 पर भी होगी. सूचनार्थ
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना |
जवाब देंहटाएंलाजवाब प्रस्तुति...बहुत बहुत बधाई...
जवाब देंहटाएंaap sabka bahut bahut dhanywaad
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