एक सन्देश-

यह ब्लॉग समर्पित है साहित्य की अनुपम विधा "पद्य" को |
पद्य रस की रचनाओ का इस ब्लॉग में स्वागत है | साथ ही इस ब्लॉग में दुसरे रचनाकारों के ब्लॉग से भी रचनाएँ उनकी अनुमति से लेकर यहाँ प्रकाशित की जाएँगी |

सदस्यता को इच्छुक मित्र यहाँ संपर्क करें या फिर इस ब्लॉग में प्रकाशित करवाने हेतु मेल करें:-
kavyasansaar@gmail.com
pradip_kumar110@yahoo.com

इस ब्लॉग से जुड़े

शनिवार, 2 मार्च 2013

मै और मेरी मुनिया

        मै और मेरी मुनिया

तुम कहते हो बड़े गर्व से ,
                         मै  अच्छा और मेरी मुनिया
कोई की परवाह नहीं है ,
                         कैसे,क्या कर लेगी दुनिया 
पैसा नहीं सभी कुछ जग में ,
                       ना आटा ,या मिर्ची ,धनिया
सबका अपना अपना जीवन,
                       राजा ,रंक ,पुजारी,बनिया  
कोई भीड़ में  नहीं सुनेगा,
                       रहो बजाते,तुम  टुनटुनिया 
उतने दिन अंधियारा रहता ,
                        जितने दिन रहती चांदनियां
तन रुई फोहे सा बिखरे ,
                        धुनकी जब धुनकेगा  धुनिया  
ये मुनिया भी साथ न देगी,
                         जिस दिन तुम छोड़ोगे दुनिया

मदन मोहन बहेती'घोटू'

4 टिप्‍पणियां:

कृपया अपने बहुमूल्य टिप्पणी के माध्यम से उत्साहवर्धन एवं मार्गदर्शन करें ।
"काव्य का संसार" की ओर से अग्रिम धन्यवाद ।

हलचल अन्य ब्लोगों से 1-