नई किरण की तलाश
नई किरण की आस लगाए अँधेरे में हम ,चुप -चाप बैठे हैं
नई सुबह की एक आस लगाए ,इस संसार में खोये हैं
गांधी की भूमि ,गौतम की राहें ,अब भी मुझे याद आते हैं
कैसे कहूँ भला मैं ,किस -किस को समझाउं मैं
सबसे अलग किनारे पर खड़ा हूँ
क्योंकि मैं बहुत अभी छोटा हूँ
सुभाष की वाणी भगत की कहानी सुनी है
मुझे नई किरण की तलाश है
अहिंसा और प्रेम की लड़ाई लड़नी है
लक्ष्मी नारायण लहरे पत्रकार
बहुत बढ़िया लहरे जी |बहुत बढ़िया लहरे जी |
जवाब देंहटाएंबढ़िया लहरें ||
जवाब देंहटाएंऔर लहरें ||
स्नेह के लिए हार्दिक आभार ब्यक्त करता हूँ ..
जवाब देंहटाएंमेरे ब्लॉग ... http://kosirgraminmitra.blogspot.com...पर ब्लागर बंधुओं का हार्दिक स्वागत है आ कर मार्ग दर्शन करे ...
सादर
लक्ष्मी नारायण लहरे "साहिल "
आदरणीय ,प्रदीप जी ,रविकर जी सप्रेम साहित्याभिवादन ..
जवाब देंहटाएंस्नेह के लिए हार्दिक आभार ब्यक्त करता हूँ ..
मेरे ब्लॉग ...पर ब्लागर बंधुओं का हार्दिक स्वागत है आ कर मार्ग दर्शन करे ...
सादर
लक्ष्मी नारायण लहरे "साहिल "
http://kosirgraminmitra.blogspot.com
सप्रेम साहित्याभिवादन
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया....