नई किरण की तलाश
नई किरण की आस लगाए अँधेरे में हम ,चुप -चाप बैठे हैं
नई सुबह की एक आस लगाए ,इस संसार में खोये हैं
गांधी की भूमि ,गौतम की राहें ,अब भी मुझे याद आते हैं
कैसे कहूँ भला मैं ,किस -किस को समझाउं मैं
सबसे अलग किनारे पर खड़ा हूँ
क्योंकि मैं बहुत अभी छोटा हूँ
सुभाष की वाणी भगत की कहानी सुनी है
मुझे नई किरण की तलाश है
अहिंसा और प्रेम की लड़ाई लड़नी है
लक्ष्मी नारायण लहरे पत्रकार