अखिल जगत में अकथ, अकाय और निराकार |
साहित्य की यह विधा अनूठी, पद्य भी कहाय,
हृदय से उत्थित, सरस शब्दों में उकेरा जाय |
भावों की ये मंजूषा, मञ्जीर, मधुर मानिक,
मुतक्का साहित्य का दृढ, मनन करो तनिक |
अमरसरित सी पावन, जनश्रुत ये अपार,
अद्भूत, असम, अनुरक्त है ये काव्य का संसार |
(शब्दार्थ: मञ्जीर=मनोहर, मुतक्का=खम्भा, अमरसरित=गंगा, जनश्रुत=प्रसिद्द, अनुरक्त=प्रेम युक्त )
हमारी शुभकामनाएं सदैव साथ है....
जवाब देंहटाएंMITRA-MADHUR
MADHUR VAANI
BINDAAS_BAATEN