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शुक्रवार, 9 सितंबर 2011

अगज़ल-दिलबाग विर्क


                      

प्यार-मोहब्बत के फरिश्तों का हमजुबां होना 
सब गुनाहों से बुरा है दिल में अरमां होना .


अहसास की आँखों से देखी हैं रुस्वाइयाँ 
महज़ इत्तफाक नहीं दिल का परेशां होना .

नजदीकियां भी बुरी होती हैं दूरियों की तरह 
जरूरी है कुछ फासिलों का दरम्यां होना .


गर गरूर है उन्हें महलों का तो रहने दो 
मेरे लिए काफी है सिर पे आसमां होना .


न जाने क्यों खुदा होना चाहते हैं लोग
काफी होता है एक इंसां का इंसां होना .


जीना मकसद है जिंदगी का 'विर्क' जीता रह 
क्यों चाहता है अपने कदमों के निशां होना .

                      * * * * *

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