सपनों की दुनिया
जहाँ दूर तक खुली फिजां हो
हरी भरी वादियाँ हो
नदियाँ और झरने हों
चहचहाते पंछी और फूल हों
दूर तक फैली हरियाली हो
आओ हम कहीं ऐसी जगह चलें
किसी भूखें बच्चे का रोना ना हो
किसी औरत की बेबसी ना हो
किसी पर अत्याचार ना हो
कहीं भ्रष्टाचार ना हो
आओ हम कहीं ऐसी जगह चलें
जहाँ हर तरफ शांति सुकून हो
पुलकित प्रफुलित चेहरे हों
और जहाँ हो सिर्फ
प्यार-प्यार-प्यार
कहाँ है ऐसी जगह ?
जवाब देंहटाएंबताओ !भैया !हम भी चलें .
बहुत बढ़िया रचना और बहुत सुन्दर स्वप्न | काश ऐसी दुनिया संभव हो पाती |
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना.
जवाब देंहटाएंझाड़खंड से एक और ब्लौगर को देखना अच्छा लगा.
ummeed aur utsaah hai rachna me...koshihs jaari rahe
जवाब देंहटाएंhttp://teri-galatfahmi.blogspot.com/
अद्भुत, जीवन्त संसार!
जवाब देंहटाएंकाश ! ऐसी भी कोई जगह होती.
जवाब देंहटाएंसुंदर कल्पना.
सुन्दर रचना.
जवाब देंहटाएंdinesh , dhanbad
सबसे पहले आप सबको हिंदी दिवस की शुभकामनायें /आप सबका बहुत बहुत धन्यवाद की आप सबने हमारी रचना पर इतनी अच्छी टिप्पड़ी की और उसको पसंद किया /आशा है आगे भी आपका आशीर्वाद हमारी रचनाओं को मिलता रहेगा / मेरी नई पोस्ट हिंदी दिवस पर लिखी हुई रचना पर आपका स्वागत है /
जवाब देंहटाएंmy blog
www.prernaargal.blogspot.com thyanks