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शनिवार, 17 सितंबर 2011

अंग्रेज चले गए अंग्रेजी छोड़ गए

अंग्रेज चले गए अंग्रेजी छोड़ गए  


आज हमारे देश में हर तरफ अंग्रेजी का बोलबाला है /हर शिक्षित इंसान अंग्रेजी में बात करता हुआ ही नजर आता है /बल्कि ये कहा जाए की अंग्रेजी में बोलना स्वाभिमान या (स्टेटस सिम्बल) हो  गया है तो अतिशोक्ति नहीं होगी /अगर आपको अंग्रेजी में बात करना नहीं आता तो आपको हिकारत की नजरों से देखा जाता है /तुच्छ समझा जाता है भले आप कितने ही पढ़े लिखे क्यों नहीं हो /कितने ही ज्ञानी क्यों नहीं हो /अंग्रेजी बोलना नहीं आया तो आपका सब ज्ञान बेकार हो जाता है /हिन्दुस्तान में रहकर आराम और बढे शान से इन्सान बोलता है की मुझे हिंदी बोलना नहीं आता  या मुझे हिंदी बोलने में  दिक्कत होती है /सोचिये कितने शर्म की बात है की हम अपनी मात् भाषा को बोलने में और पढने में शर्माते हैं और अंग्रेजी बोलनें में गर्व महसूस करते हैं /आज कल स्कूलों  में हिंदी की गिनती नहीं  सिखाई जाती बच्चों को अगर हिंदी में संख्या बोल दो तो बच्चे पूछने लगतें हैं छत्तीस याने क्या तब उनको बोलो बेटा छत्तीस माने थर्टी  -सिक्स /ये हाल है हमारे देश का /
जबकि विदेशों में ऐसा नहीं होता वहां के लोग अपनी देश की भाषा बोलनें में   गर्व महसूस करतें हैं /मैंने तो कई देशों के प्रधानमन्त्री और राष्ट्रपति को देखा है की वो अपनी भाषा में ही बात करना या भाषण देना पसंद करते हैं /चाहे उन्हें दोभाषिया की भी सहायता क्यों  ना लेना पढ़े / उन्हें तो अपनी भाषा में बोलने में कोई शर्म नहीं आती / 
हम लोग अंग्रेजों की गुलामी से तो मुक्त हो गए परन्तु अंग्रेजी के गुलाम हो गए /मैं ये नहीं कह रही की दूसरी भाषा में बोलना या सीखना बुरी  बात  है  परन्तु दूसरी भाषा के सामने अपनी राष्ट्र भाषा  को तुच्छ समझना उसको बोलने में शर्म महसूस करना या कोई बोल रहा है उसको हिकारत की नजर से देखना ये तो अच्छी बात नहीं हैं /आज अगर आपको ऊँची सोसाइटी में आना जाना है तो अंग्रेजी बोलना जरुर आना चाहिए नहीं तो आप उनकी नजरों में गंवार नजर आयेंगे वो आपको निम्न समझेंगे /हमारे दक्षिण प्रदेशों के तो और भी बुरे हाल हैं वहां अंग्रेजी के कुछ शब्द तो फिर भी लोग समझ लेते हैं परन्तु हिंदी का कोई भी  शब्द नहीं समझते/बल्कि हिंदी    
बोलने वालों के साथ उनका ब्यवहार ही अलग होता है / अपने प्रदेशों की भाषा बोलना तो ठीक है परन्तु अपनी राष्ट्र भाषा का ज्ञान भी हर हिन्दुस्तानी को होना जरुरी है /
आज हिंदी दिवस पर हम सबको हिंदी भाषा के प्रचार और प्रसार को बढ़ाने के लिए उपयुक्त कदम उठाना चाहिए /और अपने जाननेवालों को हिंदी में बात करने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए /बच्चों को भी हिंदी भाषा का ज्ञान देना बहुत जरुरी है /सारे देश के स्कूलों में हिंदी विषय का ज्ञान जरुर  देना  चाहिए /
हिंदी हमारी राष्ट्र भाषा है और उसका हमें दिल से सम्मान करना चाहिए /उसको बोलनें में शर्म नहीं गर्व महसूस  करना चाहिए / 
   
सारे  जहाँ से अच्छा हिन्दुस्तां हमारा 
हिंदी हैं हम वतन हैं 
हिन्दुस्तां हमारा     

3 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत बढ़िया प्रस्तुति ||

    आपको हमारी ओर से

    सादर बधाई ||

    जवाब देंहटाएं
  2. आदरणीया प्रेरणा जी
    सादर वंदे मातरम् !

    आपका हिंदी प्रेम स्तुत्य है !
    आपकी भावनाएं वंदनीय हैं !
    और
    आपकी रचना प्रशंसनीय है !

    आप कहती हैं -
    मैंने तो कई देशों के प्रधानमन्त्री और राष्ट्रपति को देखा है कि वो अपनी भाषा में ही बात करना या भाषण देना पसंद करते हैं /
    चाहे उन्हें दोभाषियों की भी सहायता क्यों न लेना पड़े /
    उन्हें तो अपनी भाषा में बोलने में कोई शर्म नहीं आती /

    उन्हें शर्म नहीं आती , लेकिन
    हमें शर्म आती है अपने हिंदुस्तान के राष्ट्र प्रमुखों को अंग्रेजी में भाषण देते देख-सुन कर …

    …और यह शर्म घोर निराशा और हास्यास्पद विस्मय में बदल जाती है , जब हमारे प्रधानमंत्री/राष्ट्रपति के अंग्रेजी भाषण को अपनी रूस , जापान , चीन , हंगरी , अरब आदि देशों की यात्रा के दौरान रूसी , जापानी , चीनी , हंगेरियन , अरबी आदि भाषाओं में दुभाषियों द्वारा हाथोंहाथ अनुवाद करके वहां के आम नागरिक के लिए प्रस्तुत किया जाता है …


    राष्ट्र , राष्ट्रभाषा , और राष्ट्रगीत , राष्ट्र ध्वज , तथा राष्ट्र प्रतीकों के प्रति सम्मान और गर्व करने की प्रेरणा हमें स्वतः ही लेना सीखना है !

    नेट पर सचित्र बीसों उदाहरण मिल जाएंगे कि
    # "जन गण मन " की प्रस्तुति के दौरान नामधारी नेता पड़े पड़े नींद ले रहे हैं ,
    # तिरंगा इन कृतघ्न नेताओं के पांवों के नीचे पड़ा है

    बहुत आहत करने वाला प्रसंग है … जिससे जुड़ी अनेक विडंबनाएं आप-हम जैसे राष्ट्रभक्तों को व्यथित करने वाली हैं … … …

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    प्रदीप कुमार साहनी जी
    आप काव्य का संसार के माध्यम से बहुत श्रेष्ठ कार्य कर रहे हैं … हार्दिक बधाई और मंगलकामनाएं स्वीकार करें ।
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    शुभकामनाओं सहित
    - राजेन्द्र स्वर्णकार

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  3. बहुत बहुत धन्यवाद आप सबका की आपने मेरे लेख को पसंद किया और इतने अच्छे सन्देश देकर मेरा उत्साह बढ़ाया /आशा है आगे भी आप सबका आशीर्वाद मेरी रचनाओं को मिलता रहेगा /आभार /

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