एक सन्देश-

यह ब्लॉग समर्पित है साहित्य की अनुपम विधा "पद्य" को |
पद्य रस की रचनाओ का इस ब्लॉग में स्वागत है | साथ ही इस ब्लॉग में दुसरे रचनाकारों के ब्लॉग से भी रचनाएँ उनकी अनुमति से लेकर यहाँ प्रकाशित की जाएँगी |

सदस्यता को इच्छुक मित्र यहाँ संपर्क करें या फिर इस ब्लॉग में प्रकाशित करवाने हेतु मेल करें:-
kavyasansaar@gmail.com
pradip_kumar110@yahoo.com

इस ब्लॉग से जुड़े

गुरुवार, 22 सितंबर 2011

गरीब घटाते हैं--

बत्तीसी दिखलाय के, पच्चीस कमवाय के

आयोग आगे आय के, खूब हलफाते हैं |

दवा दारु नेचर से, कपडे  फटीचर  से

मुफ्तखोर टीचर से,  बच्चा पढवाते  हैं |

सेहत शिक्षा मिलगै , कपडा लत्ता सिलगै

तनिक छत हिलगै,  काहे घबराते हैं ?

गरीबी हटाओ बोल, इंदिरा भी गईं डोल,

सरकारी झाल-झोल, गरीब  घटाते हैं ||

4 टिप्‍पणियां:





  1. आदरणीय रविकर जी
    सादर सस्नेहाभिवादन !

    क्या बात है … मस्त लिखा है -
    मुफ़्तखोर टीचर से बच्चा पढ़वाते हैं …


    हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं !
    - राजेन्द्र स्वर्णकार

    जवाब देंहटाएं

कृपया अपने बहुमूल्य टिप्पणी के माध्यम से उत्साहवर्धन एवं मार्गदर्शन करें ।
"काव्य का संसार" की ओर से अग्रिम धन्यवाद ।

हलचल अन्य ब्लोगों से 1-