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रविवार, 6 अगस्त 2023

दल की दलदल

मिल गए कई दल, दल दल में, अस्तित्व मगर अपना अपना 
मोदी को हटाए सत्ता से, मन में बस यही लिए सपना
पोषित हैं परिवारवाद से सब ,कहते खुद को समाजवादी 
 कुछ छूटे हुए जमानत पर ,कुछ सजायाफ्ता अपराधी 
 नौ वर्षों से न कमाई कुछ, ना कोई कमीशन, रिश्वत है
सब काली पूंजी स्वाह हुई ,नोटबंदी लाइ मुसीबत है 
सूखे सब श्रोत कमाई के ,बदहाली ही है बदहाली 
इस आशा से मिल रहे कि फिर, धन बरसे, छाए खुशहाली 
 पुश्तों के लिए जमा सब धन ,धीरे-धीरे बहता जाता 
कुर्सी से दर्द जुदाई का ,अब इनसे सहा नहीं जाता 
इनने सत्ता सुख भोग लिया ,कोशिश यही है अब केवल 
इस राजनीति में, बच्चों को ,जैसे तैसे कर दे सेटल 
कोशिश कर रहे सब मिलकर ,कट जाए मोदी का पत्ता 
इनको फिर कुर्सी मिल जाए और हथियालें फिर से सत्ता 
चल रही मगर एक खींचतानी ,सब चाहे पंत प्रधान बने 
एक दूजे को देते गाली पर दोस्त बने अब सभी जने 
पर हवा चल रही मोदी की, ये बादल होंगे तितर बितर 
कोरस गाते मजबूरी में ,लेकिन मिलते ना इनके स्वर 
सबकी अपनी अपनी ढपली, और राग अलापे सब अपना 
 चौबिस में मोदी आएगा और टूटेगा इनका सपना

मदन मोहन बाहेती घोटू 
जीवन डगर 

जीवन की डगर, है नहीं सरल, मुश्किल आती कैसी कैसी 
तुम में यदि हिम्मत, जज्बा है ,हर मुश्किल की एैसी तैसी 

जो हार हौसला जाते हैं ,और डर जाते बाधाओं से 
जो कंकर ,पत्थर, कांटों को ,पाते ना हटा निज राहों से 
उनको मंजिल ना मिल पाती, रहती हालत वैसी वैसी 
तुममें यदि हिम्मत ,जज्बा है ,हर मुश्किल की ऐसी तैसी 

होते हो अगर अग्रसर तुम ,जीवन में प्रगति के पथ पर 
दस दुश्मन नजर गढाएं हैं ,रखना होता पग संभल संभल 
तुमको सबसे टकराना है ,छाती हो फौलादी जैसी 
तुमने यदि हिम्मत ,जज्बा है ,हर मुश्किल की ऐसी तैसी

मदन मोहन बाहेती घोटू 
सच्चा सुख 

ना तो हीरे मोती में है ,ना ही चांदी और सोने में 
सच्चा सुख मिलता, पग पसार, अपने बिस्तर पर सोने में 

चाहे वो कितने थके पके, सारी थकान मिट जाती है 
अपने पलंग पर जब लेटो, तो नींद चैन की आती है 
सब परेशानियां भग जाती , मिटते जीवन के सन्नाटे 
निद्रा देवी की गोदी में ,जब आने लगते खर्राटे 
मन में शांति छा जाती है ,क्या रखा रोने धोने में 
सच्चा सुख मिलता पग पसार,अपने बिस्तर पर सोने में

भरपेट अगर भोजन कर लो , तो तन अलसाने लगता है 
पलके मुंदती,थोड़ा सरूर ,आंखों में छाने लगता है 
हो तकिया नरम सिरहाने में ,चलता हो पंखा या ऐ सी 
तुम स्वप्नलोक में उड़ते हो ,फिर दुनिया की ऐसी तैसी 
वह मजा और ही होता है, मीठे सपनों में खोने में 
सच्चा सुख मिलता पग पसार,अपने बिस्तर पर सोने में

मदन मोहन बाहेती घोटू 
जो होना है जो होना है 

सुख दुख आते जाते रहते क्या हंसना क्या रोना है 
सब चलता है हरि इच्छा से,जो होना है सो होना है 

अच्छा कभी,कभी दुखदायक, पल-पल भाग्य बदलता है 
जैसा लिखा काल का क्रम है, वैसा ही सब चलता है 
नियति आगे नाचा करता ,मानव बस एक खिलौना है 
सब चलता है हरि इच्छा से,जो होना है सो होना है 

लेकिन यदि हो जो पुरुषार्थ , तुम सकते हो तकदीर बदल 
सत्कर्म करो तो किस्मत की ,जाती है सभी लकीर बदल 
बस थोड़ी हिम्मत रखनी है और धीरज को ना खोना है 
सब चलता है हरि इच्छा से ,जो होना है सो होना है 

मन में थोड़ा विश्वास रखो ,घबराओ मत तुम शांत रहो 
नित नई समस्या आएगी ,उनसे मत तुम आक्रांत रहो 
अपने बूते ,अपने बल से ,तुमको तकदीर संजोना है 
सब चलता है हरि इच्छा से ,जो होना है सो होना है

मदन मोहन बाहेती घोटू 

रविवार, 23 जुलाई 2023

मन की पीर 

जब नींद रात को ना आती 
हम सोते करवट बदल बदल 
बेचैन हुए लेटे रहते 
हैं कभी इधर तो कभी उधर 
इतना छाता एकाकीपन 
सपने भी तो आते है कम 
क्योंकि इतनी ना उमर बची,
उनको पूरा कर पाएं हम 
 दिल लगे पहाड़ों से लंबे 
 मुश्किल से ही कट पाते 
 घबराहट प्रकट नहीं करते,
 हम फिर भी रहते मुस्काते 
 लेकिन इन मुस्कानों पीछे
 है दर्द न दिखता अंदर का 
 लगता विशाल, पी ना पाते 
 खारा जल भरा समुंदर का 
 मन की पीड़ायें छुपी हुई 
 लेने लगती जब अंगड़ाई 
रह रह कर याद हमे आती,
कुछ अपनों की ही रुसवाई 
नयनों में बस जाता सावन 
और झर झर आंसू झरते हैं 
बस इन्हीं परिस्थितियों में हम 
नित जीते हैं ,नित मरते है

मदन मोहन बाहेती घोटू 

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