हम हैं भक्त शिव शंकर के
तेजोमय शिव प्रचंड
मस्तक पर है त्रिपुंड
और पुत्र वक्रतुंड जानिए
पहने हैं वाघांबर
चंद्र सुशोभित है सर
ऐसे हैं गंगाधर मानिए
गले पड़ी सर्पमाल
और भाल है विशाल
नंदी पर हैं सवार पहचानिए
डमरू स्वर डम डम डम
संग त्रिशूल है हरदम
भोले को बम बम पुकारिए
प्रकटी है गंगा जिनके सर से
हम तो भगत है शिव शंकर के
हर कोई बोले ,बम बम भोले
प्रेम से बोले,बम बम भोले
शिव शंकर अविनाशी
काशी के भी वासी
भव्य तेज राशि ,पर भोले हैं
उनसे हर कोई डरे
यह तांडव नृत्य करें
नेत्र तीसरा जब भी खोले हैं
हिल जाते भू अंबर
बन जाते प्रलयंकर
आंखों से बरसाते शोले हैं
जब हो जाते प्रचंड
कर देते खंड-खंड
शांत हो के फिर बनते भोले है
जिसे सब रहते हैं डर-डर के
हम है भगत शिव शंकर के
हर कोई बोले , बम बम भोले
प्रेम से हर बोले,बम बम भोले
मदन मोहन बाहेती घोटू
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