मौत से निवेदन
ऐ मौत तू आएगी ही, निश्चित तेरा आना
बस इतनी गुजारिश है जरा देर से आना
जबतक था जवां,उलझा गृहस्थी के जाल में
हर दम ही रहा व्यस्त, कमाने को माल मैं
यूं वक्त खिसकता गया और आया बुढ़ापा
अपने में भी मैंने दिया तब ध्यान जरा सा
भगवान ने इतनी हसीं दुनिया यह बनाई
कुछ भी मजा लिया न ,यूं ही उम्र गमाई
जितनी बची है जिंदगी, कुछ ऐश मैं कर लूं
भगता उम्र का भूत ,लंगोटी ही पकड़ लूं
आनंद से है उम्र बची मुझको बिताना
ऐ मौत गुजारिश है ,जरा देर से आना
कितनी ही मेरी ख्वाइशें अब तक है अधूरी
मैं चाहता हूं जीते जी कर लूं उन्हें पूरी
कितनों के ही एहसान है,मैं उनको चुका दूं
सतकर्म में, मैं,अपनी उमर बाकी लगा दूं
काटू बुढ़ापा ऐश और आराम करूं मैं
गगरी को अपने कर्म की पुण्यों से भरूं मैं
सब पाप धो दूं गंगा में ,जीवन सुधार लूं
कुछ दान धर्म कर लूं ,प्रभु को पुकार लूं
अगले जन्म के वास्ते हैं पुण्य कमाना
ऐ मौत गुजारिश है कि ज़रा देर से आना
मदन मोहन बाहेती घोटू
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