चुनाव का चक्कर
पहले चुनाव के नेताजी ,तुम करते हाथी के वादे
जीता चुनाव तो वो वादे ,रह जाते चूहे से आधे
कोई ऋण माफ़ करा देगा ,कोई सड़कें बनवा देगा
दे देगा बिजली कोई मुफ्त ,कोई पेंशन दिलवादेगा
कोई देगा सस्ता गल्ला ,कोई दो रूपये में खाना
कोई साईकिल ,टीवी बांटे ,कोई को साडी दिलवाना
मांगे किसान, दो बढ़ा दाम ,खेती की लागत ज्यादा है
कैसे घर खर्च चलाएं हम ,जब होता नहीं मुनाफा है
तुम दाम बढाते फसलों के ,मंहगी बेचो ,मंहगी खरीद
तो जनता चिल्लाने लगती है,भूखे मरने लगते गरीब
करने उत्थान गरीबों का ,बैंकों से कर्ज दिला देते
अगले चुनाव में वोटों हित ,तुम कर्जा माफ़ करा देते
ऐसे लुभावने मन भावन ,वादे हर बार चुनावों में
आश्वासन देकर हरेक बार ,फुसलाया इन नेताओं ने
एक बात बताओ नेताजी ,ये पैसा कहाँ से लाओगे
तुम सिर्फ टेक्स की दरें बढ़ा ,हम से ही धन निकलाओगे
है पात्र छूट का निम्न वर्ग ,वो ही सब लाभ उठाएगा
और उच्च वर्ग ,कर दंदफंद ,पैसे चौगुने कमायेगा
बस बचता मध्यम वर्ग एक ,हर बार निचोड़ा जाता है
करता वो नहीं टेक्स चोरी,सर उसका फोड़ा जाता है
तुमने चुनाव के वक़्त किये जिन जिन सुविधाओं के वादे
सबकी छोडो,गलती से भी,यदि पूर्ण पड़े करना आधे
भारत की अर्थव्यवस्था पर ,कितना बोझा पड़ सकता है
ऋण भी जो लिया विदेशो से ,कितना कर्जा चढ़ सकता है
तुम सत्ता में काबिज होने ,क्यों जनता को भरमाते हो
सत्ता पा भूल जाओगे सब ,क्यों झूठे सपन दिखाते हो
और जीते तो सब भूल गए ,जब रात गयी तो गयी बात
हम कुर्सी पर ,अब तो होगी ,अगले चुनाव में मुलाकात
बन रामभक्त ,शिव भक्त कभी ,पहने जनेऊ बनते पंडित
कह हो आये कैलाश धाम करते अपनी महिमा मंडित
तुम बहुत छिछोरे छोरे हो ,तुम्हारा पप्पूपन न गया
करते हो बातें अंटशंट ,तुम्हारा ये बचपन न गया
और बनने भारत का प्रधान ,तुम देख रहे हो दिवास्वपन
वो कभी नहीं पूरे होंगे ,करलो तुम चाहे लाख यतन
आरक्षण आंदोलन करवा ,तुम हिन्दू मुस्लिम लडवा दो
तुम घोल जहर प्रांतीयता का ,दंगे और झगड़े करवादो
यूं गाँव गाँव मंदिर मंदिर ,क्या होगा शीश झुकाने से
ठेले पर पीकर चाय ,दलित के घर पर खाना खाने से
तुम सोच रहे इससे होगी ,बारिश तुम पर वोटों वाली
है जनता सजग तुम्हारे इन झांसों में ना आने वाली
वह समझ गयी है तुम क्या हो ,हो कितने गहरे पानी में
तुम ऊल जुलूल बना बातें ,बकते रहते नादानी में
है जिसे देश से प्रेम जरा ,वो भला देश का सोचेगा
कोई भी समझदार तुमको ,भूले से वोट नहीं देगा
तुम जीत गए यदि गलती से ,दुर्भग्य देश का क्या होगा
चमचे मलाई चाटेंगे सब ,और बचे शेष का क्या होगा
मैं सोच सोच ये परेशान ,कि मेरे वतन का क्या होगा
हर शाख पे उल्लू बैठेंगे ,तो मेरे चमन का क्या होगा
घोटू