प्रातः भ्रमण
रोज रोज,हर प्रातः प्रातः
पति पत्नी दोनों साथ साथ
सेहत के लिए भ्रमण करते,
हँस करते सबसे मुलाकात
कुछ प्रौढ़ और कुछ थके हुए
कुछ वृद्ध और कुछ थके हुए
कुछ जैसे तैसे बिता रहे ,
अपने जीवन का उत्तरार्ध
रोज रोज हर प्रातः प्रातः
कुछ रहते निज बच्चों के संग
कुछ कभी सुखी ,कुछ कभी तंग
एकांत समय में बतलाते ,
अपने सुख दुःख की सभी बात
रोज रोज हर प्रातः प्रातः
कह बीते कल के हालचाल
देते निकाल ,मन का गुबार
हलके मन प्यार भरी बातें ,
करते हाथों में दिए हाथ
रोज रोज हर प्रातः प्रातः
कोई प्रसन्न है कोई खिन्न
सबकी मन स्तिथि भिन्न भिन्न
सब भुला ,पुनः चालू करते ,
एक अच्छे दिन की शुरुवात
रोज रोज हर प्रातः प्रातः
मदन मोहन बाहेती 'घोटू '