उँगलियाँ
बहुत नाजुक,मुलायम और रसीली उँगलियाँ है
हाथ मेंहंदी रची ,होती रंगीली उँगलियाँ है
अगर सहलाये तुमको तो नशीली उँगलियाँ है
बजाये बांसुरी जब , तो सुरीली उँगलियाँ है
मनुज के पूरे तन में , ग़ौर से जो देखे हम तो
उँगलियाँ सोलह होती ,अन्य अंग बस एक या दो
माँ की ऊँगली पकड़ कर ,सीखते चलना ही सब है
लोग ऊँगली पकड़ कर,पहुँच जाते,पंहुचे तक है
देख कर शान उनकी ,काटते सब उंगलिया है
स्वाद खाना अगर हो , चाटते सब उँगलियाँ है
अंगूठी सगाई की पहनती ये उंगलिया है
जिंदगी भर का रिश्ता ,बांधती ये उंगलिया है
पकड़ते हम कलम को ,अंगूठे और उँगलियों से
बजाते ढोल,तबला ,हम थिरकती उँगलियों से
नृत्य की कई मुद्रा ,बनाती ये उंगलयां है
पति को उँगलियों पर ही नचाती बीबियां है
जुल्फ को मेहबूबा की ,सहलाती है कोई ऊँगली
घूमते प्रेमी जोड़े ,फंसा कर ऊँगली में ऊँगली
उठाया कन्हैया ने ,ऊँगली पे पर्वत गोवर्धन
चुरा कर ,उँगलियों से ,चाटते थे कृष्ण माखन
हथेली उँगलियों संग मिलती है तो हाथ बनती
मांगती ये दुआयें ,सबका आशीर्वाद बनती
उँगलियों पर हर एक की ,है अलग निशान होते
कार्ड आधार बनता ,सबकी ये पहचान होते
उँगलियाँ गुस्सा करती तो चपत ये मारती है
मिलती जब हथेली के संग ,मुक्का तानती है
सर में जब दर्द होता ,उँगलियाँ करती है चम्पी
बड़ी नाज़ुक सी लगती ,उँगलियाँ जब होती लम्बी
काम आती है कितनी ,उँगलियाँ ये ,गिनतियों में
जोड़ती हाथों को है ,उँगलियाँ ये ,विनतियों में
टेढ़ी ऊँगली किये बिन ,निकलता भी घी नहीं है
किसी को छेड़ना हो ,उँगलियाँ फिर जाती की है
दांत को छू के ,उंगली ,कट्टियाँ भी है कराती
ऊँगली ऊँगली से मिलकर ,बट्टियाँ भी है कराती
आजकल मोबाईल फोनो पे फिसले उंगलिया है
व्हाट्सएप फेसबुक पर करती कितनी चुगलियां है
किसी के आगे जब ऊँगली हमारी ,एक उठती
हमारी और भी तब ,उंगलयां है तीन मुड़ती
इशारा उँगलियों का ,है कभी दिल लूट लेता
उठा कर एक ऊँगली ,अम्पायर है आउट देता
उँगलियाँ नचाने से ,काम सब बनते नहीं है
उंगलिया बताती है ,रास्ता कैसा ,सही है
निवाला रोटियों का, उँगलियाँ ही तोड़ती है
मिला कर हाथ सबसे ,उंगलिया ही जोड़ती है
कोई भी उलझा मसला सुलझाती ये उंगलिया है
शुक्रिया खुदा तेरा ,हमको बक्शी उँगलियाँ है
मदन मोहन बाहेती ' घोटू'