नया सवेरा
चलो जिंदगी की, एक रात गुजरी,
आएगा कल फिर ,नया एक सवेरा
प्राची में फिर से, प्रकटेगा सूरज
चमकेगी किरणें ,मिटेगा अंधेरा
बादल गमों के, बिखर जाएंगे सब
खुशी के उजाले, नजर आएंगे अब
वृक्षों में पत्ते ,विकसेंगे फिर से ,
चहचहाते पंछी, करेंगे बसेरा
चलो जिंदगी की, एक रात गुजरी,
आएगा फिर कल, नया एक सवेरा
आशा के पौधे, पनपेंगे फिर से ,
आएगा प्यारा ,बहारों का मौसम
महकेगी बगिया ,कलियां खिलेगी,
गूंजेगा फिर से , भ्रमरों का गुंजन
गुलशन हमारा, गुलजार होगा
फिर से सुहाना ,यह संसार होगा
शुभ आगमन होगा, अच्छे दिनों का
बरसाएगा सुख ,किस्मत का फेरा
चलो जिंदगी की, एक रात गुजरी,
आएगा कल फिर,नया एक सवेरा
मदन मोहन बाहेती घोटू
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
कृपया अपने बहुमूल्य टिप्पणी के माध्यम से उत्साहवर्धन एवं मार्गदर्शन करें ।
"काव्य का संसार" की ओर से अग्रिम धन्यवाद ।