आस मत दो
गर मुझे अपना बना सकते नहीं तुम,
तो परायेपन का भी अहसास मत दो
मिलन का सुख यदि मुझे दे नहीं सकते ,
तो जुदाई का मुझे तुम त्रास मत दो
है अलग यदि रास्ते ,मेरे तुम्हारे ,
इस सफर में संग ना चल पाएंगे हम
मोड़ शायद कोई तो ऐसा मिलेगा ,
जहाँ फिर से अचानक टकराएंगे हम
जानता हूँ ,फूल तो दोगे नहीं तुम,
चुभे मन को ,कोई ऐसी फांस मत दो
गर मुझे अपना बना सकते नहीं तुम,
तो परायेपन का भी अहसास मत दो
लाख हम चाहें ,करें कोशिश कितनी,
मेल लेकिन हर किसी से हों न पाता
अड़चने आ रोकती पथ,मिल न पाते,
यह मिलन का योग लिखता है विधाता
बता कर मजबूरियां ,मत सांत्वना दो,
मिलेंगे अगले जनम में,आस मत दो
गर मुझे अपना बना सकते नहीं तुम ,
तो परायेपन का भी अहसास मत दो
मदन मोहन बाहेती 'घोटू'