चॉदनी रात में खूले आसमान में
विचरण करते चॅाद केा देख रहा था
कितना निश्चल कितना शांत
चला जा रहा है अपने रस्ते
पर प्रकाश से प्रकाशमान पर
ना ईष्या ना कुंठा,ना हिनता
प्रकाश दाता के अस्त पर
बन कर प्रतिरूप उसका
अंधेरे केा दूर कर उजाले के
लिये सदैव लालाइत,प्रत्यनशील
भले रोक ले आवारा बादल
भले छुपा ले प्रकाश उसका
मगर फिर भी प्रत्यन कर
बाहर आकर पुन: प्रकाशमान
धरती केा,अंबंर केा,मानव को
अंहकार भी नही शीतलता पर
अलंकार पर,उदहरणो पर
अपनी चादनी पर,
दूसरे केा सुख देकर खुश
मगर ईश्वर की सर्वश्रेष्ठ रचना
धंमडी,ईष्यावान,लेाभी
स्वार्थ के वशीभूत
मॅा'बाप केा भी भूलते
जिसके प्रकाश से प्रकाशमान है
आखिर ईश्वर की सर्वश्रेष्ठ रचना
मानव क्यों है अपने कर्तव्य
अपने धर्म से भटक रहा है
क्यों नही चाद से सबक लेत
पर प्रकाश से प्रकाशमान
हेाकर भी रौशनी दिखाने का
ईष्ठा कुठा घुमड दूर भगाने का
कठिन राहेा से भी गुजरते हुए
अखंड खुद को सुधारने का
अखंड खुद को सुधाराने का
विचरण करते चॅाद केा देख रहा था
कितना निश्चल कितना शांत
चला जा रहा है अपने रस्ते
पर प्रकाश से प्रकाशमान पर
ना ईष्या ना कुंठा,ना हिनता
प्रकाश दाता के अस्त पर
बन कर प्रतिरूप उसका
अंधेरे केा दूर कर उजाले के
लिये सदैव लालाइत,प्रत्यनशील
भले रोक ले आवारा बादल
भले छुपा ले प्रकाश उसका
मगर फिर भी प्रत्यन कर
बाहर आकर पुन: प्रकाशमान
धरती केा,अंबंर केा,मानव को
अंहकार भी नही शीतलता पर
अलंकार पर,उदहरणो पर
अपनी चादनी पर,
दूसरे केा सुख देकर खुश
मगर ईश्वर की सर्वश्रेष्ठ रचना
धंमडी,ईष्यावान,लेाभी
स्वार्थ के वशीभूत
मॅा'बाप केा भी भूलते
जिसके प्रकाश से प्रकाशमान है
आखिर ईश्वर की सर्वश्रेष्ठ रचना
मानव क्यों है अपने कर्तव्य
अपने धर्म से भटक रहा है
क्यों नही चाद से सबक लेत
पर प्रकाश से प्रकाशमान
हेाकर भी रौशनी दिखाने का
ईष्ठा कुठा घुमड दूर भगाने का
कठिन राहेा से भी गुजरते हुए
अखंड खुद को सुधारने का
अखंड खुद को सुधाराने का