बुजुर्गों का आशीर्वाद
प्रगति पथ पर जब भी बढ़ता आदमी ,
चढ़ने लगता तरक्की की सीढियां
एक उसके कर्म से या भाग्य से ,
जाती है तर ,कई उसकी पीड़ियाँ
बनाता पगडंडियो को है सड़क ,
साफ़ होती राह जिसके काम से
उसकी मेहनत का ही ये होता असर ,
सबकी गाडी चलती है आराम से
बीज बोता ,उगाता है सींचता ,
वृक्ष होता तब कहीं फलदार है
खा रहे हम आज फल ,मीठे सरस ,
ये बुजुर्गों का दिया उपहार है
आओ श्रद्धा से नमाये सर उन्हें ,
आज जो कुछ भी है,उनकी देन है
उनके आशीर्वाद से ही हमारी ,
जिन्दगी में अमन है और चैन है
मदन मोहन बाहेती'घोटू'