मां से
तुम चली गई ,अब नहीं रही, पर शेष तुम्हारी यादें हैं
हे मां तुम्हारे संस्कार ,सब परिवार को बांधे है
वह भोली भाली सी सूरत, वो आँखें जिनमें प्यार बसा
वह हाथ उठा जो करते थे, देने को आशीर्वाद सदा
वह हंसता मुस्काता चेहरा ,वह ममता और वह अपनापन
तेरे आंचल की छाया में ,हमने काटा अपना बचपन
वह सौम्य रूप सीधा-सादा,वह प्यार लुटाते युगल नयन
करते संचार शक्ति का थे, तेरे बोले हर मधुर वचन
संघर्ष करो ,उत्कर्ष करो , यह गुण तुमसे ही पाया है
तुझको झुकना ना आता था ,ना झुकना हमें सिखाया है
अपने हाथों से मेरा सर सहला कर करती थी दुलार
तूने हमको सद्बुद्धि दी, उत्तम शिक्षा अच्छे विचार
रह रह आती याद हमें,तेरी गरिमा और स्वाभिमान
तेरे हाथों से पका हुआ , पोषक भोजन और खानपान
पथ सदा प्रदर्शित करता है ,तेरी शिक्षा और दिया ज्ञान
ओ माता तेरे चरणों में मेरा कोटिश-कोटिश प्रणाम
मदन मोहन बाहेती घोटू
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