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गुरुवार, 9 अगस्त 2012

नाम और काम

नाम और काम

सजना कभी नहीं कहते है तुमसे सज ना

दर्पण कभी नहीं कहता है दर्प  न  करना
नदिया ऐसी कोई नहीं जिसने  न दिया हो
पिया न जिसने कभी अधर रस नहीं पिया हो
सूरज में रज नहीं मगर सूरज  कहलाता
और समंदर ,जिसके अन्दर  सभी समाता

वन देते है जीवन,वायु आयु प्रदायक

और जल,जलता नहीं,सदा शीतलता दायक

सभी तरफ दिखता समान वो आसमान है

प्रकृति की हर एक कृति,अद्भुत ,महान है

धरा, सभी कुछ इसी धरा में,ये माँ धरती

इशवर के ही वर से हम तुम है और जगती

जग मग ,जग को करते,सूरज चंदा तारे

सार युक्त संसार,अनोखे सभी नज़ारे

मदन मोहन बाहेती'घोटू'





बौना का बौना







                                                                                                                   मेरी कृतियाँ,चूम रही है आसमान को,

                                                                                                                अपनी कृतियों के आगे ,मै,सूक्ष्म खिलौना

                                                                                                                                  मैंने उड़ कर,चाँद सितारे ,नापे   सारे,

                                                                                                                                  मै अदना सा जीव,रहा बौना का बौना

 








                                    मेरी कृतियाँ,चूम रही है आसमान को,
                                     अपनी कृतियों के आगे ,मै,सूक्ष्म खिलौना
                                        मैंने उड़ कर,चाँद सितारे ,नापे   सारे,
                                     मै अदना सा जीव,रहा बौना का बौना
 

बुधवार, 8 अगस्त 2012

गाने-नये पुराने-अपने बेगाने

गाने-नये पुराने-अपने बेगाने

पुराने गाने

सुन्दर शब्दावली
मधुर धुन
कर्णप्रिय
मनभावन
पुरानी पीढ़ी  की तरह
भावना  और
रिश्तों की अहमियत से लिपटे हुए,
लम्बे समय तक लोगों को
याद रहनेवाले  .
जब भी होठों पर आते है,
अपने से लगते है
और नये गाने अक्सर,
बेतुके बोल,
कानफोडू संगीत,
भाव शून्य
आत्मीयता विहीन
चार दिन तक शोर मचाते है
फिर बिसरा दिये जाते है
जहाँ अक्सर,
भावनाएं और आत्मीयता का बोध,
बड़ी मुश्किल से मिलता है
नये गाने,
नयी पीढ़ी की तरह ,
बेगाने होते जा रहे है
 
मदन मोहन बाहेती'घोटू',  

मंगलवार, 7 अगस्त 2012

नाम और काम

नाम और काम

सजना कभी नहीं कहते है तुमसे सज ना

दर्पण कभी नहीं कहता है दर्प  न  करना
नदिया ऐसी कोई नहीं जिसने  न दिया हो
पिया न जिसने कभी अधर रस नहीं पिया हो
सूरज में रज नहीं मगर सूरज  कहलाता
और समंदर ,जिसके अन्दर  सभी समाता
वन देते है जीवन,वायु आयु प्रदायक
और जल,जलता नहीं,सदा शीतलता दायक
सभी तरफ दिखता समान वो आसमान है
प्रकृति की हर एक कृति,अद्भुत ,महान है
धरा, सभी कुछ इसी धरा में,ये माँ धरती
इशवर के ही वर से हम तुम है और जगती
जग मग ,जग को करते,सूरज चंदा तारे
सार युक्त संसार,अनोखे सभी नज़ारे
मदन मोहन बाहेती'घोटू'








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