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शनिवार, 19 जून 2021

छेड़छाड़ 

थोड़ी सी शरारत,
 थोड़ी सी तकरार 
 थोड़ी सी दोस्ती 
 थोड़ी सी रार
 थोड़ा सा गुस्सा 
 थोड़ा सा प्यार 
 लड़की पटाने की ,
 छोटी सी जुगाड़ 
 जी हां जनाब इसे कहते हैं छेड़छाड़
 छेड़छाड़ की कहानी 
 है कई युगों पुरानी 
 भगवान श्री कृष्ण इस आनंददाई प्रथा के संस्थापक थे उनकी गोपियों के संग छेड़छाड़ के किस्से बड़े रोचक थे कभी किसी गोपी की दूध भरी हांडी को फोड़ देना 
 कभी राधा की नाजुक कलाई मरोड़ देना 
 कभी यमुना में नहाती हुई बालाओं के वस्त्र चुरा लेना कभी माखन भरी हंडिया से माखन  खा लेना 
 उनके यह छेड़छाड़ के प्रसंग आज भी उनके भक्तों को बहुत भातें हैं 
 पर यह छेड़छाड़ नहीं ,उनकी बाल लीला कहाते हैं 
 फिर उसी युग में ,एक भयंकर छेड़छाड़ द्रोपदी ने दुर्योधन से की थी 
अंधों के बेटे तो अंधे होते हैं कह कर आग लगा दी थी इस छेड़छाड़ से दुर्योधन हो गया बड़ा क्रुद्ध था 
और इसका परिणाम महाभारत का महायुद्ध था 
पर यह सब तो पुरानी बातें हैं 
हम आपको आज के हाल-चाल बताते हैं 
हमारा पड़ोसी बॉर्डर पर जबतब छेड़छाड़ करता रहता है 
बार-बार कश्मीर का लाभ छेड़ता रहता है 
आतंकवादी  गतिविधियों से बाज नहीं आता है 
हालांकि हर बार मुंह की खाता है 
अमेरिका की रशिया से छेड़छाड़ चलती ही रहती है कभी चाइना से तकरार चलती ही रहती है 
कभी इजराइल ,कभी गाजी पट्टी 
कभी सीरिया, कभी ईरान
 एक दूसरे को छेड़छाड़ करके करते हैं परेशान 
 हमेशा यह डर रहता है कि यह छेड़छाड़ इतनी ना बढ़ जाए 
 कि कहीं तीसरा महायुद्ध ही  न छिड़ जाए 
 खैर,यह तो विश्व स्तर की बात हुई, आगे बढ़ते हैं अपनी रोजमर्रा की छेड़छाड़ की बात करते हैं 
 कुछ शरारती किस्म की लडके, जवान होती हुई लड़कियों के पीछे पड़ते हैं 
 और उनके साथ छेड़छाड़ करते हैं 
 कोई तानाकशी करता है ,कोई सीटी बजाता है 
 कोई सिरफिरा तो शरीर को छूकर बदतमीजी पर उतर आता है 
 ऑफिस में काम करने वाली महिलाओं के साथ सहकर्मियों की छेड़छाड़ आम बात है 
 चलती रहती कुछ न कुछ खुराफात है 
 कॉलेज के दिनों में लड़कियों को छेड़ने का मजा ही कुछ और था 
 वह तो हमने अब छोड़ छोड़ दिया वरना वह जवानी का बड़ा मजेदार दौर था 
भीड़भाड़ की छेड़छाड़ में खतरे का चांस हो सकता है 
सूनेपन की छेड़छाड़ में लड़की से रोमांस हो सकता है कुछ छेड़छाड़ यूं ही टाइम पास के लिए की जाती है और कुछ छेड़छाड़ किसी खास के लिए की जाती है 
एक शादी समारोह में एक लड़की मन को भा गई हमने उसे छेड़ दिया 
और बस ऐसे ही बात फिर आगे बढी ओर उसके मां-बाप ने उसे उम्र भर के लिए हमारे साथ भेड दिया 
वह आजकल हमारी पत्नी है पर उससे छेड़छाड़ करने में हमें डर लगता है 
क्योंकि मख्खी के छत्ते को छेड़ने का अंजाम सबको पता है 
आजकल बुढ़ापे में भी हम छेड़छाड़ का मजा उठाते हैं 
अपनी बुढ़ियाती पत्नी को, जवानी की छेड़छाड़ के किस्से सुनाते हैं 
और जब कुछ दोहराते हैं 
तो बड़ी लताड़ पाते हैं

मदन मोहन बाहेती घोटू

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