एक सन्देश-

यह ब्लॉग समर्पित है साहित्य की अनुपम विधा "पद्य" को |
पद्य रस की रचनाओ का इस ब्लॉग में स्वागत है | साथ ही इस ब्लॉग में दुसरे रचनाकारों के ब्लॉग से भी रचनाएँ उनकी अनुमति से लेकर यहाँ प्रकाशित की जाएँगी |

सदस्यता को इच्छुक मित्र यहाँ संपर्क करें या फिर इस ब्लॉग में प्रकाशित करवाने हेतु मेल करें:-
kavyasansaar@gmail.com
pradip_kumar110@yahoo.com

इस ब्लॉग से जुड़े

मंगलवार, 30 जुलाई 2019

बारिश है पर  दूर सजन है

बारिश है पर दूर सजन है
चूल्हा ठंडा पड़ा हुआ है ,सिगड़ी बिगड़ी ,नहीं अगन है
बारिश है पर दूर सजन है

 है स्टोव बिसूरता उसमे पर मिट्टी का तेल नहीं है
ओ  पीहर की प्यारी  प्रियतम मेरा घर भी जेल नहीं है
आज केटली खाली खाली ,भाग गयी है चाय निगोड़ी
ठंडा मौसम,भूख लगी पर ,कौन खिलाये  मुझे पकोड़ी
तेल पड़ा मीठा तिल्ली का  ,मगर पास  में  ना बेसन है
बारिश है पर दूर सजन है

नहीं आग सुलगा सकता हूँ ,क्योंकि सील गयी है माचिस
भुट्टा छिलकों बीच दबा है ,कैसे  पाऊं भुट्टे का किस
बाहर रिमझिम है गीलापन ,लेकिन मेरा उर सूखा है
ओ दिलवाली ,ये दीवाना ,तेरे दरशन का भूखा है
पी घर से तो मन उकताता ,पर पीहर से लगी लगन है
बारिश है पर दूर सजन है

घोटू 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

कृपया अपने बहुमूल्य टिप्पणी के माध्यम से उत्साहवर्धन एवं मार्गदर्शन करें ।
"काव्य का संसार" की ओर से अग्रिम धन्यवाद ।

हलचल अन्य ब्लोगों से 1-