नए साल का आगाज़
2000 +16 =2016
ये बीस हज़ारो अपनी, जवान हो गई है
हो गई उमर सोलह ,शैतान हो गई है
कभी 'ओबामा' की बाहों, में डाले है गलबैयां
कभी 'पुतिन' को पटाये ,कभी 'ली'से छैयां छैयां
कभी वो नवाज शरीफ पे,मेहरबान हो गई है
ये बीस हज़ारो अपनी ,जवान हो गई है
शोहदे गली के छेड़े, उसको अकड़ अकड़ कर
दुनिया में उसका जादू ,बोले है सर पर चढ़ कर
उड़ती फिरे हवा में ,तूफ़ान हो गई है
ये बीस हज़ारो अपनी,जवान हो गई है
मदन मोहन बाहेती 'घोटू'
2000 +16 =2016
ये बीस हज़ारो अपनी, जवान हो गई है
हो गई उमर सोलह ,शैतान हो गई है
कभी 'ओबामा' की बाहों, में डाले है गलबैयां
कभी 'पुतिन' को पटाये ,कभी 'ली'से छैयां छैयां
कभी वो नवाज शरीफ पे,मेहरबान हो गई है
ये बीस हज़ारो अपनी ,जवान हो गई है
शोहदे गली के छेड़े, उसको अकड़ अकड़ कर
दुनिया में उसका जादू ,बोले है सर पर चढ़ कर
उड़ती फिरे हवा में ,तूफ़ान हो गई है
ये बीस हज़ारो अपनी,जवान हो गई है
मदन मोहन बाहेती 'घोटू'
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
कृपया अपने बहुमूल्य टिप्पणी के माध्यम से उत्साहवर्धन एवं मार्गदर्शन करें ।
"काव्य का संसार" की ओर से अग्रिम धन्यवाद ।