हम वो पुराना माल है
चूरमे की तरह वो ,मीठी,मुलायम,स्वाद है ,
और बाटी की तरह ,मोटी हमारी खाल है
वो है जूही की कली ,प्यारी सी खुशबू से भरी,
फूल हम भी मगर गोभी सा हमारा हाल है
वो है छप्पन भोग जैसी,व्यंजनों की खान सी ,
और हम तो सीधे सादे ,सिरफ़ रोटी दाल है
सारंगी से सुर सजाती है मधुर वो सुंदरी ,
हम पुरानी ढोलकी से , बेसुरे ,बेताल है
काजू की कतली सी है वो और हम गुड़ की गजक ,
खनखनाती वो तिजोरी ,हम तो ठनठन पाल है
एल ई डी का बल्ब है वो ,टिमटिमाते हम दिये ,
कबाड़ी भी नहीं ले ,हम वो पुराना माल है
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
चूरमे की तरह वो ,मीठी,मुलायम,स्वाद है ,
और बाटी की तरह ,मोटी हमारी खाल है
वो है जूही की कली ,प्यारी सी खुशबू से भरी,
फूल हम भी मगर गोभी सा हमारा हाल है
वो है छप्पन भोग जैसी,व्यंजनों की खान सी ,
और हम तो सीधे सादे ,सिरफ़ रोटी दाल है
सारंगी से सुर सजाती है मधुर वो सुंदरी ,
हम पुरानी ढोलकी से , बेसुरे ,बेताल है
काजू की कतली सी है वो और हम गुड़ की गजक ,
खनखनाती वो तिजोरी ,हम तो ठनठन पाल है
एल ई डी का बल्ब है वो ,टिमटिमाते हम दिये ,
कबाड़ी भी नहीं ले ,हम वो पुराना माल है
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
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