व्यवहार
कितनी ही मंहगी चमकीली,
फ्रेम भले ही हो ,चश्मे की ,
लेकिन लेंस जब सही होते ,
तब ही साफ़ नज़र आता है
सजधज कर कोई कितनी भी,
दिखने लग जाती हो सुन्दर ,
पर दिल कैसा ,यह तो उसका ,
बस व्यवहार बता पाता है
व्यवस्थाएं
अलग अलग लोगों की ,
अलग अलग जिद और व्यवहार
देता है समाज की ,
व्यवस्थाओं को आकार
घोटू
कितनी ही मंहगी चमकीली,
फ्रेम भले ही हो ,चश्मे की ,
लेकिन लेंस जब सही होते ,
तब ही साफ़ नज़र आता है
सजधज कर कोई कितनी भी,
दिखने लग जाती हो सुन्दर ,
पर दिल कैसा ,यह तो उसका ,
बस व्यवहार बता पाता है
व्यवस्थाएं
अलग अलग लोगों की ,
अलग अलग जिद और व्यवहार
देता है समाज की ,
व्यवस्थाओं को आकार
घोटू
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