सूरज,बादल और आज की राजनीति
जब सत्ता का सूरज उगता ,बादल जैसे कितने ही दल
उसके आस पास मंडराते ,रंग बदलते रहते पल,पल
और सत्ता का समीकरण जब ,पूरा होता,सूरज बढ़ता
तो वह सर पर चढ़ जाता है,प्रखर चमकता,दिखला ,दृढ़ता
और जब ढलने को होता है ,बादल पुनः नज़र आते है
आड़े आते है सूरज के , रंग बदलते दिखलाते है
आज देशकी राजनीती का ,परिवेक्ष है कुछ ऐसा ही
छुटभैये कितने ही दल का ,है चरित्र बादल जैसा ही
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
जवाब देंहटाएंआज के संदर्भ की
विचारपूर्ण
सार्थक रचना
उत्कृष्ट प्रस्तुति
आग्रह है मेरे ब्लॉग में भी सम्मलित हों
बहुत सुन्दर.
जवाब देंहटाएंbilkul sahi kaha aapne.
जवाब देंहटाएंdhanywaad
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