कढ़ी-चाँवल
ऐसी चढ़ी है उन पे जवानी की रौनके ,
उनका शबाब हम पे सितम ढाया करे है
कहते हैं चिकने चेहरे पे ,नज़रें है फिसलती ,
अपनी नज़र तो उन पे जा ,टिक जाया करे है
वो देख हमारा बुढ़ापा ,मुंह सिकोड़ते ,
हम देख उनकी जवानी ,ललचाया करे है
खिलते हुए चांवल सा उजला रूप देख कर ,
बासी कढ़ी भी फिर से उबल जाया करे है
घोटू
ऐसी चढ़ी है उन पे जवानी की रौनके ,
उनका शबाब हम पे सितम ढाया करे है
कहते हैं चिकने चेहरे पे ,नज़रें है फिसलती ,
अपनी नज़र तो उन पे जा ,टिक जाया करे है
वो देख हमारा बुढ़ापा ,मुंह सिकोड़ते ,
हम देख उनकी जवानी ,ललचाया करे है
खिलते हुए चांवल सा उजला रूप देख कर ,
बासी कढ़ी भी फिर से उबल जाया करे है
घोटू