जगाया न होता
हमें नींद से जो जगाया न होता
हिला इस तरह जो उठाया न होता
बड़ी मुद्दतों में जो आया था हमको ,
वो सपना हमारा ,भगाया न होता
और फिर ये कह के,कि डर लग रहा है,
हमें अपने सीने लगाया न होता
दिखा करके अपनी मोहब्बत के जलवे ,
मेरी हसरतों को ,जगाया न होता
लगा कर अगन ना यूं अपने बदन से ,
लबों से वो अमृत ,पिलाया न होता
तो फिर हमसुहबत हुए हम न होते ,
मज़ा वो मोहब्बत का आया न होता
बड़ी देर तक मै ,यूं सोया न रहता ,
थकावट में एक दिन ,यूं जाया न होता
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
हमें नींद से जो जगाया न होता
हिला इस तरह जो उठाया न होता
बड़ी मुद्दतों में जो आया था हमको ,
वो सपना हमारा ,भगाया न होता
और फिर ये कह के,कि डर लग रहा है,
हमें अपने सीने लगाया न होता
दिखा करके अपनी मोहब्बत के जलवे ,
मेरी हसरतों को ,जगाया न होता
लगा कर अगन ना यूं अपने बदन से ,
लबों से वो अमृत ,पिलाया न होता
तो फिर हमसुहबत हुए हम न होते ,
मज़ा वो मोहब्बत का आया न होता
बड़ी देर तक मै ,यूं सोया न रहता ,
थकावट में एक दिन ,यूं जाया न होता
मदन मोहन बाहेती'घोटू'