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रविवार, 1 जुलाई 2012

दूरियाँ

दूरियां हमेशा दर्द ही नहीं देती, 
कभी कभी खुशनुमा एहसास भी कराती है ये दूरियां; 
दूरियां हमेशा रिश्तों को नहीं तोडती, 
अक्सर टूटते रिश्तों को भी मजबूत कराती है ये दूरियां | 

दूरियाँ हमेशा नफरत ही नहीं फैलाती, 
कभी कभी अनुपम प्रेम की अनुभूति भी कराती है ये दूरियाँ; 
दूरियाँ हमेशा फासले ही नहीं बढ़ाती, 
कभी कभी दूर हुए दो दिलों को नजदीक भी लाती है ये दूरियाँ | 

दूरियाँ सिर्फ ओझल ही नहीं करती, 
कभी कभी दिल ही दिल मे दीदार भी करती है ये दूरियाँ; 
दूरियों का मतलब सिर्फ जुदाई नहीं "दीप", 
कभी कभी एक अनोखा मिलन भी कराती है ये दूरियाँ | 

शनिवार, 30 जून 2012

शिकायत

       शिकायत

बड़ी बड़ी दावतों में जाना

और जम कर पीना,खाना
तरह तरह के पकवानों का,
लेते लेते स्वाद
आदमी इतना डट कर खा लेता है,
कि खाने पीने के बाद
डकारें लेता है,पेट सहलाता है
घर आते ही बिस्तर पर,
गिरता ,सो जाता  है
ये सच है,दावत खाने के बाद,
आदमी किसी भी काम का नहीं रह जाता है

मदन मोहन बहेती'घोटू'

इतिहास दुहरा रहा है

     इतिहास दुहरा रहा है

केकैयी ने,

अपने बेटे भरत को,
राजगद्दी दिलवाने के लिए,
राम को रास्ते से हटाया
चौदह वर्षों का वनवास दिलवाया
ताकि बारात के राज्याभिषेक में,
कोई आड़े ना आ पाये
सोनिया जी ने,
अपने बेटे राहुल को,
प्रधानमंत्री बनवाने को,
प्रणव को रास्ते से हटाया
उन्हें राष्ट्रपति बनवाया
ताकि राहुल के राज्याभिषेक में,
कोई आड़े ना आ पाये
क्योंकि अगली बार जब भी मौका आता
प्रणव दादा जैसा कद्दावर व्यक्तित्व,
राहुल के रास्ते में आ जाता
वैसे तो और भी कई नेता है
पर कोई कमाई में लगा है
कोई चाटुकार है,
तो कोई आरोपों के दलदल में फंसा है
राहुल को टक्कर देनेवाला कौन बचा है?
प्रणव के राष्ट्रपति बन जाने का रास्ता साफ़ है
देखो दुहरा रहा इतिहास है

 मदन मोहन बाहेती'घोटू'
 

शुक्रवार, 29 जून 2012

लक्ष्य-लक्ष्मी प्राप्ति का

लक्ष्य-लक्ष्मी प्राप्ति का

जो फलों की कामना हो,बीज बोना चाहिये

लक्ष्मी की प्राप्ति का ही,  लक्ष्य होना चाहिये
पीठ कछुवे की तरह से,इस कदर मजबूत हो,
जरुरत पड़ने पे उसको पहाड़ ढोना  चाहिये
लेना पड़ सकती है तुमको,दुश्मनों की भी मदद,
देवता और दानवों सा,  साथ होना  चाहिये
कोई भी जरिया हो चाहे नाग की मथनी बने,
कैसे भी हो ,हमको बस ,सागर बिलौना चाहिये
निकल  सकता है हलाहल,भी सुधा की चाह में
,साथ संकट निवारक  शंकर का होना  चाहिये
उच्च्श्रेवा,एरावत,निकलेगी रम्भा,वारुणी,
छोट मोटे रत्नों का बंटवारा होना चाहिये
लक्ष्मी खुद प्रकट होकर आपको मिल जाएगी,
प्रतीक्षा में धैर्य अपना नहीं खोना  चाहिये
अपने साथी देवताओं को ही अमृत बांटना,
मोहिनी का रूप पर सुन्दर ,सलोना चाहिये

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

मै प्लास्टिक का दाना हूँ

 मै प्लास्टिक का दाना हूँ

मै प्लास्टिक का दाना हूँ

श्वेत वर्ण सुन्दर और मोती सा सुहाना हूँ
समय के एक्सट्रूडर में,
जब जब मै पिघलता  हूँ
अलग अलग सांचों में,
अलग अलग रूपों में,
ढलता,संवरता हूँ
कभी मै कंघा बन,
गौरी क्र नरम नरम,
केशों को सहलाता हूँ
कभी खिलौना बन कर,
रोते हुए बच्चों को,
खुश कर हंसाता हूँ
कभी बाल्टी बन कर,
अपने में पानी भर,
उनको नहलाता हूँ
चाय  का कप  बन कर,
उनके होठों से लग,
कितना सुख पाता हूँ
बेग बना तो सब्जी,
और चीजें घर भर की ,
भर भर के लाता हूँ
और टूट जाने पर,
फेंक दिया जाता या,
बेच दिया जाता हूँ
ये मेरे जीवन का अंत नहीं होता है
बार बार गलता हूँ,
बार बार ही मेरा पुनर्जनम होता है
बार बार नया रूप,
बार बार तिरस्कार
उम्र के साथ साथ,
कमजोरी बार बार
कभी ख़ुशी होती है,
कभी कभी  रोता मन
क्या ये  ही है नियति,
क्या ये ही है जीवन
जगती के  चक्कर का,बस आना जाना हूँ
मै  प्लास्टिक का दाना हूँ

मदन  मोहन बाहेती'घोटू'

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