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रविवार, 30 अक्टूबर 2011

हड्डियाँ और दांत

(मेडिकल कविता )
हड्डियाँ और दांत 
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डाक्टर बताते है
बच्चा जब पैदा होता है,
उसके शारीर में 350  हड्डियाँ होती है,
पर जैसे जैसे उमर बढती है
हड्डियाँ जुडती है
आदमी में बदलाव आता है
हड्डिय मजबूत होती है,
और उनमे जुडाव आता है
हड्डियाँ और आदमी ,
दोनों हो जाते है सख्त
और बचपन की 350 हड्डियाँ,
बड़े होने पर,206 ही रह जाती है फ़क्त
और इसी तरह बचपन में,
आदमी के जबड़े में,
छुपे होते है बावन दांत
इनमे से बीस,जो हड़बड़ी में होते है,
जल्दी निकल जाते है
पर पांच सात बरस में टूट कर  गिर जाते है
ये दूध के दांत कहलाते है
पर बाकि के बत्तीस दांत,
जो धीरज रखते है
धीरे धीरे निकलते है
और पूरी उमर चलते है
हमारे शरीर के ये अंग,
हमें बहुत कुछ सिखाते है
हड्डियाँ जुडाव की ताकत बताती है,
और दांत धीरज की महत्ता बताते है

मदन मोहन बहेती 'घोटू'

 

शुक्रवार, 28 अक्टूबर 2011

इस दीपावली पर

इस दीपावली पर
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कोई  के घर आये लक्ष्मी पद्मासन में,
कोई के घर अपने प्रिय वाहन उल्लू पर
मेरे घर पर लेकिन आई लक्ष्मी मैया,
एक नहीं,दो नहीं,तीन इक्कों पर चढ़ कर

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

उल्लू बीसा

उल्लू बीसा
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श्री लक्ष्मी वहां प्रभो,महिमा धन्य अपार
सोना,चाँदी और तुम,जगती के  आधार
करे रात के समय जो,कोई भी व्यापार
श्री उल्लू की कृपा से,भरे रहे भंडार
नमो नमो उल्लू महाराजा
प्रभो आप रजनी के राजा  
निशा दूत अति सुन्दर रूपा
वास आपका कोटर ,कूपा
सूखे तरु पर आप विराजे
राज सिंहासन पर नृप साजे
कौशिकनाथ,लक्ष्मी भक्ता
धन्य धन्य रजनी अनुरक्ता
प्रभो आपकी महिमा न्यारी
लक्ष्मी जी की आप सवारी
भक्त,तपस्वी,साधू,संता
पक्षीराज निशा के कंता
चाँद,उलूक ,दोई एक जाती
रात पड़े निकले ये साथी
सूरज छिपे,होय अंधियारा
दर्शन होए प्रभु तुम्हारा
दिन का हल्ला,हुल्लड़ बाजी
हुई प्रभु को लख नाराजी
दुनिया की भगदड़ से ऊबे
क्षीण चक्षु भक्तिरस डूबे
शांति रूप को भक्ति जागी
सब कुछ त्याग बने बैरागी
करे रात को लक्ष्मी सेवा
धन्य निशाचर उल्लू देवा
धनी सेठ और जग की माया
सब पर प्रभू आपका साया
घूक,तिजोरी,पैसेवाले
तीनो लक्ष्मी के रखवाले
तीनो एक सरीखे के ग्यानी
एक घाट का पीते पानी
कीर्ति आपकी वेद बखाने
गुण महिमा मूरख भी जाने
सुन कर मधुर आपकी वाणी
विव्हल होते जग के प्राणी
करे रात को जो व्यापारा
धन और पैसा आय अपारा
जो भी ध्यावे उल्लू बीसा
बने कीमती देशी घी  सा
उसका दुःख दारिद मिट जाए
पैसा औ लक्ष्मी को पाए
उल्लू बीसा तुम पढो,बन लक्ष्मी के दास
भर जायेगी तिजोरी,मिट जायेगे त्रास
(इति श्री उल्लू बीसा संपन्न)
(लक्ष्मी जी की कृपा के लिए उनके प्रिय वाहन
उल्लू  का आराधन धन प्रदायक होता है )

बुधवार, 26 अक्टूबर 2011

साहित्य सुरभि: कुंडलिया छंद - 2

साहित्य सुरभि: कुंडलिया छंद - 2: दीवाली त्यौहार पर , जले दीप से दीप अन्धकार सब दूर हों , रौशनी हो समीप । रौशनी हो समीप, उमंग...

१०० वीं प्रस्तुति

शुभकामनाएं--

File:Onam pookalam.jpg
रचो रँगोली लाभ-शुभ, जले  दिवाली  दीप |
माँ लक्ष्मी का आगमन, घर-आँगन रख लीप ||

Deepavali To Complete With Gambling













घर-आँगन रख लीप, करो स्वागत तैयारी |
लेखक-कवि मजदूर, कृषक, नौकर, व्यापारी |
Diwali Cracker Hamper
नहीं खेलना ताश, नशे की छोडो टोली |
दो बच्चों का साथ, रचो मिल सभी रँगोली  ||

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