गूँज किसी निर्दोष हँसी की
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गूँज किसी निर्दोष हँसी की खन-खन करती पायलिया सी मधुर रुनझुनी घुँघरू
वाली, खिल-खिल करती हँसी बिखरती ज्यों अंबर से वर्षा होती ! अंतर से फूटे
ज्यों झरना अधरों...
4 घंटे पहले